शनिवार, 4 अप्रैल 2020

652. शाम (क्षणिका)

शाम  

*******    

ऐसी शाम जब थका हारा जीवन अपने अंत पर हो  
एक बड़ा चमत्कार हो जाए  
ढलता सूरज सब जान जाए  
भेज दे अपने रथ से थोड़ा सुकून और हर ले उदासी  
भले ही शाम हो पर जीवन की सुबह बन जाए  
शाम से रात तक जीवन को अर्थ मिल जाए  
काश! ऐसी कोई शाम हो- ढलता सूरज देवता बन जाए।

- जेन्नी शबनम (4. 4. 2020)  
__________________