चौथा बन्दर
***
बापू के तीनों बन्दर
सालों-साल मुझमें जीते रहे
मेरे आँसू तो नहीं माँगे, मेरा लहू पीते रहे
फिर भी मैंने उनका अनुकरण और अनुसरण किया।
अब वे फुदक-फुदककर
बाहर आने को व्याकुल रहते हैं
जब से मुझे बुरा दिखने लगा
बुरा सुनाई देने लगा
और फिर मैंने बुरा बोलना सीख लिया
पर मैंने उन्हें जकड़ रखा है ज़ेहन में
आज़ादी न मिलेगी उन्हें।
ये तीनों घमासान मचाए हुए हैं
परन्तु अब वह ज़माना न रहा
जब चुपचाप सब सहा जाए
बुरा देखा जाए, सुना जाए, न कहा जाए।
अब मैंने एक और बन्दर को पाल लिया है
जो इन तीनों को दबोचकर रखता है
और ''जैसे को तैसा'' का आदेश देता है।
फिर कहीं से बापू की आवाज़ गूँजती है-
''ऐसे तो कभी समाधान न होगा
पर बात जब हद से बाहर हो जाए
तो चौथे बन्दर को बाहर लाओ।''
इन दिनों चौथे बन्दर को बाहर आने के लिए
आह्वान कर रही हूँ
अब मैं कम डर रही हूँ।
-जेन्नी शबनम (2.10.2022)
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लाजवाब
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (05-10-2022) को "अभी भी जिन्दा है रावण" (चर्चा-अंक-4572) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
कृपया कुछ लिंकों का अवलोकन करें और सकारात्मक टिप्पणी भी दें।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (05-10-2022) को "अभी भी जिन्दा है रावण" (चर्चा-अंक-4572) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
कृपया कुछ लिंकों का अवलोकन करें और सकारात्मक टिप्पणी भी दें।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत जरुरी है आजकल इन तीनो बंदरों को कैद करना और चौथा बंदर बाहर लाना ।बहुत ही लाजवाब ।
जवाब देंहटाएंवाह!!!
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (05-10-2022) को "अभी भी जिन्दा है रावण" (चर्चा-अंक-4572) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
कृपया कुछ लिंकों का अवलोकन करें और सकारात्मक टिप्पणी भी दें।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत ख़ूब
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार(१०-१० -२०२२ ) को 'निर्माण हो रहा है मुश्किल '(चर्चा अंक-४५७७) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
वाह अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
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