सोमवार, 23 जनवरी 2023

756. पुल

पुल 

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पुल तो ध्वस्त हो गया   
जिससे दोनों पाटों को जोड़कर   
पार कर जाते थे अथाह खाई   
हाँ, एक पतली सी डोरी छोड़ दी थी   
शायद किसी मोड़ पर वापसी हो   
तो लौटना मुमकिन हो सके   
यह याद रखते हुए   
कि यह अन्तिम   
अस्त्र, शस्त्र और मन्त्र है   
जीवन के प्रवाह की   
यह डोरी अगर टूटी या छूटी   
फिर उम्र और वक़्त की सीमा कुछ भी हो   
जीवन एक पार ही रहेगा   
तमाम अंतर्द्वंद्वों को समझते जानते हुए   
अब कोई नया पुल न बनेगा   
न मरम्मत की जाएगी   
न कोई सूत जोड़ी या छोड़ी जाएगी।

- जेन्नी शबनम (23. 1. 23)
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9 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 25 जनवरी 2023 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
    अथ स्वागतम शुभ स्वागतम।

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार (26-01-2023) को   "आम-नीम जामुन बौराया"   (चर्चा-अंक 4637)  पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. ये धागे बस आशा को जीवित रखते हैं पर कौन लौटता है जाने वाला ...

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  4. उम्मीद की डोर रिश्तों को मजबूत कर देती है ।।

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  5. गहन अर्थ समेटे सुंदर रचना।

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  6. नमस्ते.....
    आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
    आप की ये रचना लिंक की गयी है......
    दिनांक 29/01/2023 को.......
    पांच लिंकों का आनंद पर....
    आप भी अवश्य पधारें....

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