ऑरकुट पर अपनी दूसरी प्रोफाइल बनाते वक़्त यह रचना लिखी। मैं बोलती गई और मेरा बेटा टाइप करता गया, क्योंकि एक शब्द भी टाइप करने में मैं बहुत वक़्त ले रही थी; उन दिनों अपने बेटे से ऑरकुट और टाइपिंग दोनों सीख रही थी। पहली प्रोफाइल पर एक ऐसी घटना हुई कि उसे हटाना पड़ा लेकिन इस त्वरित (instant) कविता का जन्म हुआ। अब लिखती तो शायद कुछ परिवर्तन ज़रुर होता, पर उस दिन आशु कविता पहली बार लिखी तो उसमें बदलाव करने का मन नहीं किया । कविता यथावत प्रस्तुत है।
हँसी
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हँसी पे मत जाओ
बड़ी मुसीबत होती है
एक हँसी के वास्ते आँसुओं से मिन्नत
हज़ार करनी होती है।
हँसी
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हँसी पे मत जाओ
बड़ी मुसीबत होती है
एक हँसी के वास्ते आँसुओं से मिन्नत
हज़ार करनी होती है।
जज़्ब न हो जाते आँसू जब तक
बड़ी मुश्किल होती है
एक हँसी के वास्ते तरक़ीबें
हज़ार करनी होती हैं।
दिखे न मुस्कुराहट जब तक
बड़ी जद्दोज़हद करनी होती है
एक हँसी के वास्ते हँसी की ओट में ग़म
हज़ार छुपानी होती है।
खिलखिलाती हँसी भी अजीब होती है
बड़ी दिक्कत से टिकी होती है
एक हँसी के वास्ते रब से दुआएँ
हज़ार करनी होती है।
हँसी पे मत जाओ
बड़ी ख़तरनाक भी होती है
एक हँसी के वास्ते जंग सौ
हज़ार गुनाह कराती है।
हँसी पे मत जाओ
बहुत रुलाती बड़ी बेवफा होती है
एक हँसी के वास्ते मौत
हज़ार मरनी होती है।
हँसी ख़ुदा की नेमत होती है
जिसे मिलती बड़ी तकदीर होती है
एक हँसी के वास्ते सौ फूल खिलाती
हज़ार ग़म भूलाती है।
- जेन्नी शबनम (18. 8. 2008)
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Hansi
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Hansi pe mat jaao
badi musibat hoti hai
Ek hansi ke waaste aansuon se minnat
hazaar karni hoti hai.
Jazb na ho jate aansoo jabtak
badi mushkil hoti hai
Ek hasi ke waste tarkibein
hazaar karni hoti hain.
Dikhe na muskuraahat jabtak
badi jaddozehad karni hoti hai
Ek hasi ke waste hansi ki oat me gham
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Hansi pe mat jaao
badi musibat hoti hai
Ek hansi ke waaste aansuon se minnat
hazaar karni hoti hai.
Jazb na ho jate aansoo jabtak
badi mushkil hoti hai
Ek hasi ke waste tarkibein
hazaar karni hoti hain.
Dikhe na muskuraahat jabtak
badi jaddozehad karni hoti hai
Ek hasi ke waste hansi ki oat me gham
hazaar chhupaani hoti hai.
Khilkhilati hasi bhi ajeeb hoti hai
badi dikkat se tiki hoti hai
Ek hasi ke waste rab se duaayen
hazaar karni hoti hai.
Hansi pe mat jaao
badi khatarnaak bhi hoti hai
Ek hansi ke waaste jung sou
gunaah hazaar karaati hai.
Hansi pe matt jaao
bahut rulaati badi bewafa hoti hai
Ek hansi ke waaste mout
hazaar marni hoti hai.
Hansi khuda ki nemat hoti hai
jise milti badi takdeer hoti hai
Ek hansi ke waaste sou phool khilaati
gam hazaar bhoolati hai.
- Jenny Shabnam (18. 8. 2008)
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waah, sundar....sach mein yeh hansi...iske baare me kuch keh nahi sakte...
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरती के साथ शब्दों को पिरोया है इन पंक्तिया में आपने .......
जवाब देंहटाएंपढ़िए और मुस्कुराइए :-
कहानी मुल्ला नसीरुद्दीन की ...87
बहुत ही भावपूर्ण निशब्द कर देने वाली रचना . गहरे भाव.
जवाब देंहटाएंऐसी कवितायें रोज रोज पढने को नहीं मिलती...इतनी भावपूर्ण कवितायें लिखने के लिए आप को बधाई...शब्द शब्द दिल में उतर गयी.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति। भारतीय एकता के लक्ष्य का साधन हिंदी भाषा का प्रचार है!
जवाब देंहटाएंमध्यकालीन भारत धार्मिक सहनशीलता का काल, मनोज कुमार,द्वारा राजभाषा पर पधारें
हंसी में भी दर्द है ....
जवाब देंहटाएंशब्द सामर्थ्य, भाव-सम्प्रेषण, संगीतात्मकता, लयात्मकता की दृष्टि से कविता अत्युत्तम हैं। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंचक्रव्यूह से आगे, आंच पर अनुपमा पाठक की कविता की समीक्षा, आचार्य परशुराम राय, द्वारा “मनोज” पर, पढिए!
गुजराती में एक कहावत है; "हसवानी वात हँसी काढवा जेवी नहीं !"
जवाब देंहटाएंमतलब कि "हँसने की बात को हलके से लेकर हसीं में मत निकालो |"
बहुत ही मस्त कविता... जिसे गंभीरता से पढी है |
मेरे ब्लॉग पर इस बार ....
जवाब देंहटाएंक्या बांटना चाहेंगे हमसे आपकी रचनायें...
अपनी टिप्पणी ज़रूर दें...
http://i555.blogspot.com/2010/10/blog-post_04.html
वाह..बढ़िया प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंशानदार अभिव्यक्ति!
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