लम्हों का सफ़र

मन की अभिव्यक्ति का सफ़र

रविवार, 25 मई 2025

793. किरदार

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किरदार *** थक गई हूँ अपने किरदार से इस किरदार को बदलना होगा ढेरों शिकायत है वक़्त से कुछ तो उपाय करना होगा वक़्त न लौटता है, न थमता है मुझे ख़...
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मंगलवार, 6 मई 2025

792. सफ़र जारी है

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सफ़र जारी है *** बहुत कुछ छूट गया बहुत कुछ छोड़ दिया ज़िन्दगी न ठहरी, न थमी चलती रही, फिरती रही  न कोई राह दिखाने वाला  न कोई साथ निभाने वाल...
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गुरुवार, 20 मार्च 2025

791. गौरैया (9 हाइकु)

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गौरैया (हाइकु) 1. नन्ही-सी जान फुदक फुदकके नाच दिखाती। 2. प्यारी गौरैया बचपन की सखा मुझे भूली वो। 3. छोटी गौरैया चीं-चीं-चीं चहकके हमें लुभा...
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गुरुवार, 13 मार्च 2025

790. होली (होली पर 20 हाइकु)

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होली (होली पर 20 हाइकु) 1. भाँग पीकर पुआ-पूड़ी खाकर होली अघाई। 2. होली भौजाई लगाकर गुलाल ख़ूब लजाई। 3. धर्म व जाति भेद नहीं करती भोली है होल...
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शनिवार, 8 मार्च 2025

789. एक सवाल

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एक सवाल  *** भार्या होने का दण्ड  बार-बार भोगती रही अपमान का घूँट पीती रही और तुम सभी नज़रें झुकाए  कायर बने बैठे तमाशा देखते रहे तुम सभी के ...
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सोमवार, 10 फ़रवरी 2025

788. प्रवासी पूत (20 हाइकु)

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प्रवासी पूत   ***  1. नीड़ की यादें  मन हुआ बेकल प्रवासी पूत।  2. देश को लौटा रोज़ी-रोटी की खोज प्रवासी बेटा।  3.   दुःख में बेटा विदेश की धर...
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मंगलवार, 7 जनवरी 2025

787. तुम्हें जीत जाना है

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तुम्हें जीत जाना है *** जीवन की हर रस्म निभाने का समय आ गया है उस चक्रव्यूह में समाने का समय आ गया है जिसमें जाने के रास्तों का पता नहीं न ब...
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बुधवार, 1 जनवरी 2025

786. नव वर्ष (20 हाइकु)

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नव वर्ष  *** 1. मन में आस- नव वर्ष की भोर हो पुनर्जन्म। 2. लेकर आशा नव वर्ष है आया शुभ सन्देश। 3. उँगली थामे नव वर्ष की भोर घूमने चली। 4. चह...
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गुरुवार, 26 दिसंबर 2024

785. सपने जो मेरे हैं (5 माहिया)

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सपने जो मेरे हैं  *** 1.  सपने मेरे  *** सपने जो मेरे हैं  ख़्वाबों में पलते  होते ना पूरे हैं।   2.  अपने जब रूठे  *** सब अपने जब रूठे  जितन...
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मंगलवार, 24 दिसंबर 2024

784. सूरज किसका चाँद किसका

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सूरज किसका चाँद किसका  *** हम चाँद हैं तुम्हारे   तुम सूरज हो हमारे  हम भी तनहा, तुम भी तनहा  संसार में हम दोनों तनहा  पर साथ-साथ हम चलते है...
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गुरुवार, 12 दिसंबर 2024

783. पैरहन (5 क्षणिका)

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पैरहन ***  1. लकीर *** हथेली में सिर्फ़ सुख की लकीरें थीं कब किसने दुःख की लकीरें उकेर दीं जो ज़िन्दगी की लकीर से भी लम्बी हो गई अब उम्मीद क...
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बुधवार, 20 नवंबर 2024

782. ज़िन्दगी

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ज़िन्दगी 1.  ज़िन्दगी चली बिना सोचे-समझे किधर मुड़े? कौन बताए दिशा मंज़िल मिले जहाँ।  2.  मालूम नहीं  मिलती क्यों ज़िन्दगी बेइख़्तियार, डोर जिसने...
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शनिवार, 16 नवंबर 2024

781. आग मुझे खल रही है

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आग मुझे खल रही है  *** एक आग में तमाम उम्र  जलती, तपती, झुलसती रही आह निकले, पर सब्र किया ज़ख़्म दुःखे, पर हँस दिया आसमाँ से वर्षा की गुहार लग...
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शुक्रवार, 18 अक्टूबर 2024

780. कुछ ताँका (28 ताँका)

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बच्चे  1. बच्चों के बिना  फीका है पकवान  सूना घर-संसार, लौटते ही बच्चों के  होता पर्व-त्योहार।     2.  तोतली बोली माँ-बाबा को पुकारे वो नौनि...
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रविवार, 25 अगस्त 2024

779. तुम (10 क्षणिका)

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तुम (10 क्षणिका) *** 1. तुम  मन में उमंग हो साथ अगर तुम हो खिल जाती है मुसकान नाचता-गाता है आसमान और कैमरे में उतरता है  हमारा बचपन। 2. यारी...
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रविवार, 30 जून 2024

778. ज़िन्दगी बौनी (10 ताँका)

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ज़िन्दगी बौनी  ***  1. दहलीज़ पे बैठा राह रोकके  औघड़ चाँद  न आ सका वापस  मेरा दर्द या प्रेम। 2. ज़िन्दगी बौनी आकाश पे मंज़िल पहुँचे कैसे? चारो...
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शुक्रवार, 21 जून 2024

777. खण्डहर (10 क्षणिका)

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खण्डहर  *** 1. खण्डहर होना  ***  न समय के, न समाज के ध्यान में होता है मन का खण्डहर होना सिर्फ़ मन के संज्ञान में होता है। 2. खण्डहर में तब्...
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बुधवार, 12 जून 2024

776. कशमकश

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कशमकश ***  रिश्तों की कशमकश में ज़ेहन उलझा है उम्र और रिश्तों के इतने बरस बीते  मगर आधा भी नहीं समझा है फ़क़त एक नाते के वास्ते कितने-कितने फ...
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बुधवार, 1 मई 2024

775. वक़्त आ गया है

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वक़्त आ गया है  *** अक्सर सोचती हूँ  हर बार, बार-बार  मैं   चुप   क्यों   हो   जाती   हूँ ? जानती   हूँ   मेरी   चुप्पी   हर   किसी   को   भा...
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डॉ. जेन्नी शबनम
नयी दिल्ली / भागलपुर, दिल्ली / बिहार, India
'ये मन की अभिव्यक्ति का सफ़र है, जो प्रति-पल मन में उपजता है...' - जेन्नी शबनम
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