शनिवार, 5 मार्च 2011

215. और कर ली पूरी मुराद

और कर ली पूरी मुराद

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वक़्त से माँग लायी
अपने लिए कुछ चोरी के लम्हात
मन किया जी लूँ ज़रा बेफ़िक्र
पा लूँ कुछ अनोखे एहसास

कम नहीं होता
किसी का साथ
प्यारी बातें
एक ख़ुशनुमा शाम
जो बन जाए तमाम उम्र केलिए
एक हसीन याद

हाथों में हाथ 
और तीन क़दमों में
नाप ली दुनिया हमने
और कर ली पूरी मुराद

जानती हूँ
यह कोई नयी बात नहीं
न होती है परखने की बात
पर पहली बार
दुनिया ने नहीं
मैंने परखा है दुनिया को

अपनी आँखों से देखती थी
पर आज देखी
किसी और की नज़रों से
अपनी ज़िन्दगी

पहले भी क्या ऐसी ही थी दुनिया?
पहले भी फूल तो खिले होते थे 
पर मुरझाए ही
मैं क्यों बटोरती थी?

क्या ये ग़ैर वाज़िब था?
कैसे मानूँ?
कहकर तो लाई थी वक़्त को
परवाह क्यों?
जब वक़्त को रंज नहीं!

- जेन्नी शबनम (27. 02. 2011)
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11 टिप्‍पणियां:

  1. वक़्त से मांग लायी
    अपने लिए
    कुछ चोरी के लम्हात,
    मन किया
    जी लूँ
    ज़रा बेफ़िक्र,

    बहुत खूब ...बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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  2. wah.वक़्त से मांग लायी
    अपने लिए
    कुछ चोरी के लम्हात...bahut khoobsurat...

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  3. वक़्त से मांग लायी
    अपने लिए
    कुछ चोरी के लम्हात,
    मन किया
    जी लूँ
    ज़रा बेफ़िक्र,
    पा लूँ कुछ
    अनोखे
    एहसास !behtareen khyaal... kuch lamhe baant lijiye

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  4. पहले भी क्या ऐसी हीं थी
    दुनिया ?
    फूल तो खिले होते थे
    पहले भी,
    मुरझाये हीं
    मैं क्यों बटोरती थी ?

    बहुत खूबसूरत भावमयी रचना..

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  5. 'हाथों में हाथ और

    तीन क़दमों में

    नाप ली

    दुनिया हमने '

    वाह , सूक्ष्म भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति

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  6. क्या ये
    गैर वाज़िब था?
    कैसे मानूँ?
    कह कर तो लाई थी
    वक़्त को,
    परवाह क्यों?
    जब वक़्त को
    रंज नहीं !

    waqt ko bahut pyare dhang se jenny di aapne sabdo me sanjoya hai....:)

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  7. काश ऐसे ही सबकी मुराद पूरी हो।

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  8. शबनम जी आपने सही कहा है कि "कम नहीं होता
    किसी का साथ
    प्यारी बातें
    एक खुशनुमा शाम,
    जो बन जाए
    तमाम उम्र के लिए
    एक हसीन याद !
    सच्चे मन का साथ तो तीन कदम क्या तीन प्रश्वास का भी मिल जाए तो क्या कम है।
    हाथों में हाथ और
    तीन क़दमों में
    नाप ली
    दुनिया हमने,
    और कर ली पूरी
    मुराद ! सदा की तरह एक -एक शब्द हृदय की अनुगूँज और भावभूमि को हौले से छूकर अभिभूत कर देता है । आपको मर्मस्पर्शी रचना के लिए हार्दिक बधाई!

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  9. "हाथों में हाथ और
    तीन क़दमों में
    नाप ली
    दुनिया हमने,
    और कर ली पूरी
    मुराद !"

    सच कहा आपने...

    "कितनी छोटी लगती है दुनिया,
    जब हाथ में हाथ हो किसी का !
    मुराद भी हो जाती है पूरी,
    जब साथ हो किसी अपने का !!"

    पूरी कविता ही संवेदनाओं से भरी है...

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  10. बहुत खूबसूरत भावमयी रचना| धन्यवाद|

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