क़र्ज़ जो मुझे चुकाना नहीं
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जो वक़्त मुझे देते हो, माना ये है काफ़ी
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जो वक़्त मुझे देते हो, माना ये है काफ़ी
पर मेरे लिए वो क़र्ज़ है
ऐसा क़र्ज़ जो मुझे चुकाना नहीं
क़र्ज़ चुकता किया, तो तुम छूट जाओगे
क़र्ज़ चुकाने दूसरे जन्म में कहाँ मिल पाओगे
इस जन्म में तुम्हारी कर्ज़दार रहना है
इस जन्म में तुम्हारी कर्ज़दार रहना है
अगले जन्म में सिर्फ़ अपने लिए जीना है।
- जेन्नी शबनम (2. 1. 2012)
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इस जन्म में
जवाब देंहटाएंतुम्हारी कर्ज़दार रहना है
अगले जन्म में
सिर्फ अपने लिए जीना है !
वाह ...बहुत खूब ।
बहुत खूब ... मुक्ति की आहट लिए पर अगले जनम में ... बहुत खूब ...
जवाब देंहटाएंनया साल मुकबक हो आपको ...
बहुत सुन्दर..
जवाब देंहटाएंथोडा घुमावदार भाव लिए है आपकी कविता..
बहुत खूब.
"क़र्ज़ चुकता किया
जवाब देंहटाएंतो तुम छूट जाओगे,"
बहुत ही हटकर सोच मगर सीधे दिल में उतरती ! सुन्दर अभिव्यक्ति !
very nice..
जवाब देंहटाएंBahut sundar rachana!
जवाब देंहटाएंNaya saal mubarak ho!
बहुत बढ़िया प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंवाह! जी वाह!
जवाब देंहटाएंयह भी आपने खूब कही.
इसीलिए शायद कहावत बनी होगी
'आज नकद कल उधार'
उसे तो बस प्यार और
भक्तिपूर्ण दिल ही चाहिये,
फिर तो सारे कर्ज माफ जी.
"इस जन्म में
जवाब देंहटाएंतुम्हारी कर्ज़दार रहना है
अगले जन्म में
सिर्फ अपने लिए जीना है !"
वाह...वाह...
बहुत सुन्दर !!
न जाने कितने क़र्ज़ हैं...
कैसे चुकने हैं ?
और किसे चुकाने है ??
ईश्वर से प्रार्थना है..
कि इसी जन्म में
हमें मुक्ति दे दे
बही खता बंद करे
अपने लेन-देन का
और अपनी कलम तोड़ दे..!!
सुंदर भावपूर्ण रचना ...
जवाब देंहटाएंआपने सही लिखा है कि रिश्तों के कर्ज चुकाए नहीं जा सकते हैं|
जवाब देंहटाएंpyari si rachna:))
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया प्रस्तुति,सुंदर रचना......
जवाब देंहटाएंwelcome to new post--जिन्दगीं--
आपकी भाव-प्रवण कविता अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट "तुझे प्यार करते-करते कहीं मेरी उम्र न बीत जाए" पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंजीवन का कटु सत्य है.....
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