कुछ सुहाने पल...
मुट्ठी में बंद
(मेरा प्रथम चोका)
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कुछ सुहाने पल
ज़रा लजाते
शरमा के बताते
पिया की बातें
हसीन मुलाकातें
प्यारे-से दिन
जग-मग-सी रातें
सकुचाई-सी
झुकी-झुकी नज़रें
बिन बोले ही
कह गई कहानी
गुदगुदाती
मीठी-मीठी खुशबू
फूलों के लच्छे
जहाँ-तहाँ खिलते
रात चाँदनी
अँगना में पसरी
लिपट कर
चाँद से फिर बोली -
ओ मेरे मीत
झीलों से भी गहरे
जुड़ते गए
ये तेरे-मेरे नाते
भले हों दूर
न होंगे कभी दूर
मुट्ठी ज्यों खोली
बीते पल मुस्काए
न बिसराए
याद हमेशा आए
मन को हुलासाए !
- जेन्नी शबनम (जुलाई 30, 2012)
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यादों के क्या कहने ?
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर
जवाब देंहटाएंवाह.....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर जेन्नी जी....
अनु
बीते हुवे ये पल आप ही मन को गुदगुदाते हैं ... शर्माते हैं उर फिर मन में समा जाते हैं ... ये पल जीना आसान कर देते हैं ...
जवाब देंहटाएंबीते पलों की याद कभी ,भूले न बिसराय
जवाब देंहटाएंयादे यदि याद आ गई,मन को दे हुलसाय,,,,
बेहतरीन अहसास,,,,,
RECENT POST ...: जिला अनूपपुर अपना,,,
RECENT POST ....: प्यार का सपना,,,,
MARMIK KAVITA KE LIYE BADHAAEE AUR
जवाब देंहटाएंSHUBH KAMNAAYEN .
चोके की खासियत तो नहीं जानता लेकिन इस कविता में भाषा, शब्दों और भावों की ज़बरदस्त रवानगी है.
जवाब देंहटाएंमुट्ठी ज्यों खोली
जवाब देंहटाएंबीते पल मुस्काए
न बिसराए
याद हमेशा आए
मन को हुलासाए !
यादों का यही सिलसिला हमें सदा एक दुसरे के करीब ले आता है और हम सदा उर्जावान बने रहते हैं बहुत ही शानदार भाव
कुछ सुहाने पल...एक खूब सूरत मानसिक कुहाँसा लिए हैं ये पल ,सजना के संग जो बीते तो व्यतीत माहि हुए कभी ...बढ़िया प्रस्तुति ....
जवाब देंहटाएं....कृपया यहाँ भी पधारें -
ram ram bhai
बुधवार, 22 अगस्त 2012
रीढ़ वाला आदमी कहलाइए बिना रीढ़ का नेशनल रोबोट नहीं .
What Puts The Ache In Headache?
मुट्ठी में बंद ------------मन हुलसाये तक सारी कविता एक लय में लयबद्ध है । पढ़ने वाले को मजबूर कर दे लय में पढने के लिए । गुदगुदाती मीठी मीठी खुशबू फूलों के लच्छे । बहुत सुन्दर ,बहुत बढियाँ ।
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट आज 23/8/2012 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
जवाब देंहटाएंकृपया पधारें
चर्चा - 980 :चर्चाकार-दिलबाग विर्क
वाह ... बेहतरीन
जवाब देंहटाएंbhavon se saji sundar rachna hai aapki .........
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर एवं कोमल एहसास के साथ लिखी गई ये रचना
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी लगी !
आभार !
बीते हुए पल सुहाने पल ही होते हैं, जो कभी नहीं भुलाए जा सकते हैं!
जवाब देंहटाएंशबनम जी, यादों को संजोकर रखना भी जीवन कला के रूप में जाना जाता है। बहुत ही भाव-प्रवण अभिव्यक्ति। मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंyaaden dhoop chaanv ki tarah hain kabhi khushi kabhi gam
जवाब देंहटाएंइस विषय पर और- न कुछ कहकर यही कहूंगा कि आप एक गीत सुनें- अखियों के झरोखे से......।
जवाब देंहटाएंआSहा। बीते पल यादों में आएँ, गुदगुदाएँ, मुस्कुराएँ ।
जवाब देंहटाएंयादें तो मन को दुलारती हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर।
सुन्दर कविता
जवाब देंहटाएंNostalgic feelings tatol gayi ye rachna..
जवाब देंहटाएंSaadar
इस पोस्ट पर अपनी प्रतिक्रिया दे चुका हूं। इतना अच्छा लगा कि पुन:पढने के लिए आ गया। मेरे ब्लॉग " प्रेम सरोवर" के नवीनतम पोस्ट पर आपका स्वागत है।
जवाब देंहटाएंBahut Sundar prastuti :-)
जवाब देंहटाएंAanhar
यादों की सुन्दर कृति. पढ़कर अच्छा लगा.
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