बुधवार, 22 अगस्त 2012

369. कुछ सुहाने पल (मेरा प्रथम चोका) (चोका - 1)

कुछ सुहाने पल... 
(मेरा प्रथम चोका)

******* 

मुट्ठी में बंद 
कुछ सुहाने पल
ज़रा लजाते  
शरमा के बताते 
पिया की बातें
हसीन मुलाकातें  
प्यारे-से दिन  
जग-मग-सी रातें 
सकुचाई-सी 
झुकी-झुकी नज़रें
बिन बोले ही 
कह गई कहानी 
गुदगुदाती 
मीठी-मीठी खुशबू
फूलों के लच्छे 
जहाँ-तहाँ खिलते  
रात चाँदनी 
अँगना में पसरी
लिपट कर 
चाँद से फिर बोली -
ओ मेरे मीत  
झीलों से भी गहरे
जुड़ते गए 
ये तेरे-मेरे नाते
भले हों दूर
न होंगे कभी दूर     
मुट्ठी ज्यों खोली
बीते पल मुस्काए 
न बिसराए  
याद हमेशा आए
मन को हुलासाए !

- जेन्नी शबनम (जुलाई 30, 2012)

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25 टिप्‍पणियां:

G.N.SHAW ने कहा…

यादों के क्या कहने ?

kunwarji's ने कहा…

बहुत ही सुन्दर

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

वाह.....
बहुत सुन्दर जेन्नी जी....

अनु

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बीते हुवे ये पल आप ही मन को गुदगुदाते हैं ... शर्माते हैं उर फिर मन में समा जाते हैं ... ये पल जीना आसान कर देते हैं ...

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बीते पलों की याद कभी ,भूले न बिसराय
यादे यदि याद आ गई,मन को दे हुलसाय,,,,

बेहतरीन अहसास,,,,,

RECENT POST ...: जिला अनूपपुर अपना,,,
RECENT POST ....: प्यार का सपना,,,,

PRAN SHARMA ने कहा…

MARMIK KAVITA KE LIYE BADHAAEE AUR
SHUBH KAMNAAYEN .

Bharat Bhushan ने कहा…

चोके की खासियत तो नहीं जानता लेकिन इस कविता में भाषा, शब्दों और भावों की ज़बरदस्त रवानगी है.

Ramakant Singh ने कहा…

मुट्ठी ज्यों खोली
बीते पल मुस्काए
न बिसराए
याद हमेशा आए
मन को हुलासाए !

यादों का यही सिलसिला हमें सदा एक दुसरे के करीब ले आता है और हम सदा उर्जावान बने रहते हैं बहुत ही शानदार भाव

virendra sharma ने कहा…

कुछ सुहाने पल...एक खूब सूरत मानसिक कुहाँसा लिए हैं ये पल ,सजना के संग जो बीते तो व्यतीत माहि हुए कभी ...बढ़िया प्रस्तुति ....
....कृपया यहाँ भी पधारें -
ram ram bhai
बुधवार, 22 अगस्त 2012
रीढ़ वाला आदमी कहलाइए बिना रीढ़ का नेशनल रोबोट नहीं .
What Puts The Ache In Headache?

आनन्द विक्रम त्रिपाठी ने कहा…

मुट्ठी में बंद ------------मन हुलसाये तक सारी कविता एक लय में लयबद्ध है । पढ़ने वाले को मजबूर कर दे लय में पढने के लिए । गुदगुदाती मीठी मीठी खुशबू फूलों के लच्छे । बहुत सुन्दर ,बहुत बढियाँ ।

डॉ. दिलबागसिंह विर्क ने कहा…

आपकी पोस्ट आज 23/8/2012 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
कृपया पधारें

चर्चा - 980 :चर्चाकार-दिलबाग विर्क

सदा ने कहा…

वाह ... बेहतरीन

Dr. sandhya tiwari ने कहा…

bhavon se saji sundar rachna hai aapki .........

Jeevan Pushp ने कहा…

बहुत सुन्दर एवं कोमल एहसास के साथ लिखी गई ये रचना
बहुत अच्छी लगी !
आभार !

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बीते हुए पल सुहाने पल ही होते हैं, जो कभी नहीं भुलाए जा सकते हैं!

प्रेम सरोवर ने कहा…

शबनम जी, यादों को संजोकर रखना भी जीवन कला के रूप में जाना जाता है। बहुत ही भाव-प्रवण अभिव्यक्ति। मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है। धन्यवाद।

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

yaaden dhoop chaanv ki tarah hain kabhi khushi kabhi gam

प्रेम सरोवर ने कहा…

इस विषय पर और- न कुछ कहकर यही कहूंगा कि आप एक गीत सुनें- अखियों के झरोखे से......।

Asha Joglekar ने कहा…

आSहा। बीते पल यादों में आएँ, गुदगुदाएँ, मुस्कुराएँ ।

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

यादें तो मन को दुलारती हैं।
बहुत सुंदर।

alka mishra ने कहा…

सुन्दर कविता

Madhuresh ने कहा…

Nostalgic feelings tatol gayi ye rachna..
Saadar

प्रेम सरोवर ने कहा…

इस पोस्ट पर अपनी प्रतिक्रिया दे चुका हूं। इतना अच्छा लगा कि पुन:पढने के लिए आ गया। मेरे ब्लॉग " प्रेम सरोवर" के नवीनतम पोस्ट पर आपका स्वागत है।

Fani Raj Mani CHANDAN ने कहा…

Bahut Sundar prastuti :-)
Aanhar

ओंकारनाथ मिश्र ने कहा…

यादों की सुन्दर कृति. पढ़कर अच्छा लगा.