यह कविता है
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मन की अनुभूति
ज़रा-ज़रा जमती, ज़रा-ज़रा उगतीज़रा-ज़रा सिमटती, ज़रा-ज़रा बिखरती
मन की परछाई बन एक रूप है धरती
मन के व्याकरण से मन की स्लेट पर
मन की खल्ली से जोड़-जोड़कर कुछ हर्फ़ है गढ़ती
नहीं मालूम इस अभिव्यक्ति की भाषा
नहीं मालूम इसकी परिभाषा
सुना है, यह कविता है।
- जेन्नी शबनम (21. 3. 2013)
(विश्व कविता दिवस पर)
(विश्व कविता दिवस पर)
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वाकई ..कुछ ऐसी ही होती है कविता ..कुछ कुछ अनबूझी सी ...
जवाब देंहटाएंvery nice
जवाब देंहटाएंदिल से निकला हर एक लफ्ज़ कविता ही तो है...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर!!
सादर
अनु
मन के अनुभूति को भावों के साथ कागजो पर उकेरना ही कविता है,,,,
जवाब देंहटाएंRecentPOST: रंगों के दोहे ,
नहीं मालूम
जवाब देंहटाएंइस अभिव्यक्ति की भाषा
नहीं मालूम
इसकी परिभाषा;
सुना है
यह कविता है !-----waah bahut sarthak rachna badhai
हाँ ! यही कविता है ..।
जवाब देंहटाएंवाह! सुन्दर परिभाषा है कविता की.
जवाब देंहटाएंनीरज 'नीर'
जवाब देंहटाएंभाव भावना का व्यंजन ही कविता है
latest post भक्तों की अभिलाषा
latest postअनुभूति : सद्वुद्धि और सद्भावना का प्रसार
सच है ...
जवाब देंहटाएंयही कविता है !
कविता की सही परिभाषा और स्वरूप यही है, जो चुपचाप इसी तरह शब्दों का आकार और फिर अर्थ का विस्तार ग्रहण कर लेता है ।
जवाब देंहटाएंकविता दिवस को बखूबी शब्दों में पिरोया आपने ....
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं .....!!
निस्संदेह - वही कविता है
जवाब देंहटाएंनिस्संदेह - वही कविता है
जवाब देंहटाएंSAHAJ BHAVABHIVYAKTI NE MAN KO CHHOO LIYA HAI . YUN HEE LIKHTEE
जवाब देंहटाएंRAHEN AUR MAN LUBHAATE RAHEN .
SAHAJ BHAVABHIVYAKTI MAN KO CHHOOTEE HAI . YUN HEE LIKHTEE RAHEN AUR LUBHAATEE RAHEN .
जवाब देंहटाएंमन की खल्ली से
जवाब देंहटाएंजोड़-जोड़ कर
कुछ हर्फ़ है गढ़ती,
नहीं मालूम
इस अभिव्यक्ति की भाषा
badhai sabnam ji bahut sundar rachana lagi ....
मन की अनुभूति ह्रदय के धरातल पर जमती उगती और पल्लवित होती है बस बन जाती है आपकी कविता .....
जवाब देंहटाएंवाह! यही तो कविता है...बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंनहीं मालूम
जवाब देंहटाएंइस अभिव्यक्ति की भाषा
नहीं मालूम
इसकी परिभाषा;
सुना है
यह कविता है ! waah