मन
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1.
मन में बसीधूप सीली-सीली-सी
ठंडी-ठंडी सी।
2.
भटका मन
सवालों का जंगल
सब है मौन।
सवालों का जंगल
सब है मौन।
3.
शाख से टूटे
उदासी के ये फूल
मन में गिरे।
उदासी के ये फूल
मन में गिरे।
4.
बता सबब
अपने खिलने का,
ओ मेरे मन।
अपने खिलने का,
ओ मेरे मन।
5.
मन के भाव
मन में ही रहते
किसे कहते?
मन में ही रहते
किसे कहते?
6.
मन पे छाया
यादों का घना साया,
ख़ूब सताया।
यादों का घना साया,
ख़ूब सताया।
7.
कच्चा-सा मन
जाने कैसे है जला
अधपका-सा।
जाने कैसे है जला
अधपका-सा।
8.
सोच का मेला
ये मन अलबेला
रातों जागता।
ये मन अलबेला
रातों जागता।
9.
यादों का पंछी
डाल-डाल फुदके
मन बौराए।
डाल-डाल फुदके
मन बौराए।
10.
धीरज पगी
मादक-सी मुस्कान
मन को खींचे।
मादक-सी मुस्कान
मन को खींचे।
- जेन्नी शबनम (13. 12. 2013)
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So nice heart touching
जवाब देंहटाएंमन में बसी
जवाब देंहटाएंधूप सीली-सीली-सी
ठंडी-ठंडी सी
बहुत सुंदर और भावपूर्ण भी ....!!
बहुत ही अच्छे और बेहतरीन हाईकू ...
जवाब देंहटाएं:-)
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार २४/१२/१३ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी,आपका वहाँ हार्दिक स्वागत है।
जवाब देंहटाएंnice lines
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार |
जवाब देंहटाएंआशा
एक से एक
जवाब देंहटाएंलाजवाब हाइकु
लिखे आपने
बहुत उम्दा हाइकु
बहुत सुन्दर !मन के भिन्न भिन्न पहलू पर आप ने प्रकाश डाला !
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट चाँदनी रात
नई पोस्ट मेरे सपनों का रामराज्य ( भाग २ )
अपनी कहानी खुली खुली
जवाब देंहटाएंsach men sawal kai hain jinke jawab hame talashane hain . sunder rachana
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