मंगलवार, 31 दिसंबर 2013

432. अतीत के पन्ने (चोका - 6)

अतीत के पन्ने   

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याद दिलाए 
अतीत के जो पन्ने  
फड़फड़ाए
खट्टी-मीठी-सी यादें
पन्नों से झरे  
इधर-उधर को
बिखर गए
टुकड़ों-टुकड़ों में,
हर मौसम
एक-एक टुकड़ा
यादें जोड़ता
मन को टटोलता
याद दिलाता
गुज़रा हुआ पल
क़िस्सा बताता,
दो छोर का जुड़ाव
नासमझी से
समझ की परिधि
होश उड़ाए
अतीत को सँजोए,
बचपन का 
मासूम वक़्त प्यारा
सबसे न्यारा 
सबका है दुलारा, 
जुनूनी युवा
ज़रा मस्तमौला-सा
आँखों में भावी 
बिन्दास है बहुत, 
प्रौढ़ मौसम
ओस में है जलता
झील गहरा
ज़रा-ज़रा सा डर
जोशो-जुनून
चेतावनी-सा देता,
वृद्ध जीवन
कर देता व्याकुल
हरता चैन 
मन होता बेचैन
जीने की चाह
कभी मरती नहीं
अशक्त काया
मगर मोह-माया
अवलोकन
गुज़रे अतीत का
कोई जुगत
जवानी को लौटाए
बैरंग लौटे
उफ़्फ़ मुआ बुढ़ापा
अधूरे ख़्वाब
सब हो जाए पूर्ण
कुछ न हो अपूर्ण !

- जेन्नी शबनम (26. 12. 2013)
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5 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढ़िया प्रस्तुति...आप को और सभी ब्लॉगर-मित्रों को मेरी ओर से नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं...

    नयी पोस्ट@एक प्यार भरा नग़मा:-तुमसे कोई गिला नहीं है

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    --
    गये साल को है प्रणाम!
    है नये साल का अभिनन्दन।।
    लाया हूँ स्वागत करने को
    थाली में कुछ अक्षत-चन्दन।।
    है नये साल का अभिनन्दन।।...
    --
    नवल वर्ष 2014 की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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  3. बहुत सुन्दर..नव वर्ष कि शुभकामनाए

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  4. हो जग का कल्याण, पूर्ण हो जन-गण आसा |
    हों हर्षित तन-प्राण, वर्ष हो अच्छा-खासा ||

    शुभकामनायें आदरणीया

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