स्मृतियाँ शूल
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1.
तय हुआ है-मौसम बदलेगा
बर्फ़ जलेगी।
2.
लेकर चली
चींटियों की क़तार
मीठा पहाड़।
3.
चींटियों की क़तार
मीठा पहाड़।
3.
तमाम रात
धकेलती ही रही
यादों की गाड़ी।
4.
धकेलती ही रही
यादों की गाड़ी।
4.
आँखें मींचती
सूर्य के गले लगी
धरा जो जागी।
5.
सूर्य के गले लगी
धरा जो जागी।
5.
जाने क्या सोचे
यायावर-सा फिरे
बादल जोगी।
यायावर-सा फिरे
बादल जोगी।
6.
डरे होते हैं-
बेघर न हो जाएँ
मेरे सपने।
7.
हार या जीत
बेनाम-सी उम्मीद
ज़मींदोज़ क्यों?
8.
ख़ारिज हुई
जब भी भेजी अर्ज़ी
ख़ुदा की मर्ज़ी।
9.
जश्न मनाता
सूरज निकलता
हो कोई ऋतु।
10.
जब उभरें
लहुलूहान करें
स्मृतियाँ शूल।
- जेन्नी शबनम (5. 6. 2014)
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हार या जीत
जवाब देंहटाएंबेनाम-सी उम्मीद
ज़मींदोज़ क्यों !
bahut sundar jenni shabnam ji
लघु कलेवर ,बड़ी बात !
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 03-07-2014 को चर्चा मंच पर चर्चा - 1663 में दिया गया है
जवाब देंहटाएंआभार
डरे होते हैं -
जवाब देंहटाएंबेघर न हो जाएँ
मेरे सपने ..
सपने बेघर नहीं होते .. आँखों में पलते हैं ये ... सभी हाइकू लाजवाब ...
बहुत ही सुंदर , जेन्नी जी धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
सभी हाइकु बेहद पसंद आए....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर और भावपूर्ण हाइकु...बधाई
जवाब देंहटाएंअच्छे हाइकु
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