सोमवार, 17 नवंबर 2014

474. कोई तो दिन होगा

कोई तो दिन होगा

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कोई तो दिन होगा 
जब गीत आज़ादी के गाऊँगी 
बीन बजाते भौंरे नाचेंगे 
मैं पराग-सी बिखर जाऊँगी  
आसमाँ में सूरज दमकेगा 
मैं चन्दा-सी सँवर जाऊँगी।  

कोई तो दिन होगा 
जब गीत ख़ुशी के गाऊँगी 
चिड़िया फुदकेगी डाल-डाल 
मैं तितली-सी उड़ जाऊँगी 
फूलों से बगिया महकेगी 
मैं शबनम-सी बिछ जाऊँगी। 

कोई तो दिन होगा 
जब गीत प्रीत के गाऊँगी 
प्रेम प्यार के पौध उपजेंगे 
मैं ज़र्रे-ज़र्रे में खिल जाऊँगी 
भोर सुहानी अगुवा होगी 
मैं आसमाँ पर चढ़ जाऊँगी। 

कोई तो दिन होगा 
जब गीत आनन्द के गाऊँगी 
यम बुलाने जब आएगा 
मैं हँसती-हँसती जाऊँगी 
कथा-कहानी जीवित रहेगी 
मैं अमर होकर मर जाऊँगी।

-जेन्नी शबनम (16.11.2014)
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8 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सुन्दर अभिलाषा ...
    जीवन में ऐसा दिन जरूर आता है ...

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  2. वो वक्त भी आएगा जब दीप जलेंगे
    तनहाइ के आलम में हर ख्वाब हसेंगें
    महकेगा गुलशन कभी गुंचे भी खिलेंगें
    मायूस न होना अज़ीज़ हर जख्म भरेंगे

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  3. बहुत सार्थक और भावपूर्ण रचना...बहुत सुन्दर

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  4. आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति मंगलवार के - चर्चा मंच पर ।।

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  5. सुन्दर प्रस्तुति .....आभार!

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  6. बहन जेन्नी शबनम जी ! आपकी कविता का एक-एक शब्द हृदय की गहराइयों से निकला है । आपकी यह कविता बहुत से हताश और निराश लोगों को शक्ति देगी। अपने सर्जन का यह क्रम बनाए रखिए !

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  7. बहुत सुंदर और भावमय अभिव्यक्ति...

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