कोई तो दिन होगा
***
कोई तो दिन होगा
जब गीत आज़ादी के गाऊँगी
बीन बजाते भौंरे नाचेंगे
मैं पराग-सी बिखर जाऊँगी
आसमाँ में सूरज दमकेगा
मैं चन्दा-सी सँवर जाऊँगी।
कोई तो दिन होगा
जब गीत ख़ुशी के गाऊँगी
चिड़िया फुदकेगी डाल-डाल
मैं तितली-सी उड़ जाऊँगी
फूलों से बगिया महकेगी
मैं शबनम-सी बिछ जाऊँगी। !
जब गीत ख़ुशी के गाऊँगी
चिड़िया फुदकेगी डाल-डाल
मैं तितली-सी उड़ जाऊँगी
फूलों से बगिया महकेगी
मैं शबनम-सी बिछ जाऊँगी। !
कोई तो दिन होगा
जब गीत प्रीत के गाऊँगी
प्रेम प्यार के पौध उपजेंगे
मैं ज़र्रे-ज़र्रे में खिल जाऊँगी
भोर सुहानी अगुवा होगी
मैं आसमाँ पर चढ़ जाऊँगी।
कोई तो दिन होगा
जब गीत आनन्द के गाऊँगी
यम बुलाने जब आएगा
मैं हँसती-हँसती जाऊँगी
कथा-कहानी जीवित रहेगी
मैं अमर होकर मर जाऊँगी।
-जेन्नी शबनम (16.11.2014)
____________________
8 टिप्पणियां:
बहुत ही सुन्दर अभिलाषा ...
जीवन में ऐसा दिन जरूर आता है ...
वो वक्त भी आएगा जब दीप जलेंगे
तनहाइ के आलम में हर ख्वाब हसेंगें
महकेगा गुलशन कभी गुंचे भी खिलेंगें
मायूस न होना अज़ीज़ हर जख्म भरेंगे
बहुत सार्थक और भावपूर्ण रचना...बहुत सुन्दर
wah waah wah bahut khoob wah...
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति मंगलवार के - चर्चा मंच पर ।।
सुन्दर प्रस्तुति .....आभार!
बहन जेन्नी शबनम जी ! आपकी कविता का एक-एक शब्द हृदय की गहराइयों से निकला है । आपकी यह कविता बहुत से हताश और निराश लोगों को शक्ति देगी। अपने सर्जन का यह क्रम बनाए रखिए !
बहुत सुंदर और भावमय अभिव्यक्ति...
एक टिप्पणी भेजें