शुक्रवार, 4 नवंबर 2016

530. पुकार (क्षणिका)

पुकार

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हाँ! मुझे मालूम है  
एक दिन तुम याद करोगे  
मुझे पुकारोगे पर मैं नहीं आऊँगी  
चाहकर भी न आ पाऊँगी  
इसलिए जब तक हूँ क़रीब रहो
ताकि उस पुकार में ग्लानि न हो  
महज़ दूरी का गम हो

- जेन्नी शबनम (4. 11. 2016)
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