आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (09-07-2017) को 'पाठक का रोजनामचा' (चर्चा अंक-2661) पर भी होगी। -- सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। -- चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है। जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये। हार्दिक शुभकामनाओं के साथ। सादर...! डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बाकी सब अपने कहाँ होते हैं एक उदासी ही तो अपनी होती है फिर क्यों दूसरा जबरन उसे छीनने चला
जवाब देंहटाएंसटीक
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति आभार "एकलव्य"
जवाब देंहटाएंकोई किसी की उदासी नहीं बांटता, शायद यही इंसानी फितरत है ...बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंरहिमन निज मन की व्यथा मन ही राखे गोय
जवाब देंहटाएंसुनि इठलैहैं लोग सब बाँट न लैहें कोय
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (09-07-2017) को 'पाठक का रोजनामचा' (चर्चा अंक-2661) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंख़याल अच्छा है(दिल को बहलानाे के लिये).
जवाब देंहटाएंख़याल अच्छा है -दिल को बहलाने के लिए .
जवाब देंहटाएंखुद ही जीना होता है उदासी को ...
जवाब देंहटाएंकोई नहीं ले जाता इसे ... बहुत खूब लिखा है ...