गुरुवार, 6 जनवरी 2011

201. नए साल में मेरा चाँद (क्षणिका)

नए साल में मेरा चाँद

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चाँद के दीदार को हम तरस गए
अल्लाह! अमावास का अंत क्यों नहीं होता?
मुमकिन है नया साल
चाँद से रूबरू करा जाए 

- जेन्नी शबनम (6. 1. 2011)
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10 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सुन्‍दर शब्‍द ।

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  2. वाह , क्या ग़ज़ब बात कही है ।
    बहुत सुन्दर ।

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  3. बहुत ही अच्छे एहसास के साथ लिखी गई है.... हर नज़्म बहुत ही सुंदर

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  4. ummid karte hain ham bhi...naye saal me 365 din punam ki raat ho...aur sirf jagmag karti raaat...:)

    bahut khub...jenny di...

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  5. वाह! क्या बात है, बहुत सुन्दर! नव वर्ष की शुभकामना!

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  6. नया साल लाए जीवन में चाँदनी
    हर घड़ी आपकी हो मनभावनी ।
    अधेरे कभी जीवन में न आएँ ।
    जीवन की बगिया में फूल मुस्काएँ ।

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