शनिवार, 29 जनवरी 2011

210. आधा-आधा (क्षणिका)

आधा-आधा

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तेरे पास वक़्त कम ज़िन्दगी बहुत
मेरे पास ज़िन्दगी कम वक़्त बहुत
आओ आधा-आधा बाँट लें, पूरा-पूरा जी लें

- जेन्नी शबनम (28. 1. 2011)
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10 टिप्‍पणियां:

  1. "ला-जवाब" जबर्दस्त!!
    हम तो आपकी भावनाओं को शत-शत नमन करते हैं.

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  2. बहुत अच्छा सन्देश देती हुई काव्य क्षणिका!

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  3. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (31/1/2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
    http://charchamanch.uchcharan.com

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  4. आप तो सचमुच आत्मा को तृप्त करने वाली अनुभूति हमको परोस देती हैं ।वक़्त और ज़िन्दगी का इससे बढ़कर क्या बटवारा हो सकता है । आपकी ज़रख़ेज़ लेखनी सदा ऐसी ही बहुमूल्य रचनाओं को सामने लाती रहे ।बहुत-बहुत आभार !

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  5. आदरणीया जेन्नी शबनम जी
    नमस्कार !

    बहुत शानदार त्रिवेणी है
    …पूरा पूरा जी लें ! वाह ! क्या बात है !

    हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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