रविवार, 13 मार्च 2011

220. कब उजास होता है (तुकांत)

कब उजास होता है

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जाने कौन है जो आस पास होता है
दर्द यूँ ही तो नहीं ख़ास होता है

बहकते क़दमों को भला रोकें कैसे
हर तरफ़ उनका एहसास होता है

वो समझते नहीं है दिल की सदा
ज़ख़्म दिखाना भी परिहास होता है 

वक़्त की जादूगरी भी क्या खूब है
हँस-हँसकर जीवन उदास होता है 

ज़िन्दगी बसर कैसे हो भला उनकी
जिनके दिल में इश्क़ का वास होता है 

ग़ैरों के बदन को बेलिबास कर जाए
उनके मन पर कब लिबास होता है

'शब' सोचती है कल मिलेंगे उजाले से
तक़दीर में कब उसके उजास होता है 

- जेन्नी शबनम (11. 3. 2011)
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11 टिप्‍पणियां:

  1. उफ्फ्फ ,जेन्नी जी आपको हम पढ़ते रहे हैं ,समय के साथ साथ आपकी भाषा ,शैली और भाव निरंतर परिपक्व हो रहे हैं ,ये ग़जल आपकी प्रतिभा का बेजोड़ नमूना हैं ,जिसके हम कायल हैं |

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  2. वक़्त की जादूगरी भी क्या खूब है
    हँस हँस कर जीवन उदास होता है !
    bahut achcha likhi hain is bar bhi......

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  3. सही कहा आपने-"वो समझते नहीं है दिल की सदा
    ज़ख़्म दिखाना भी परिहास होता है" किसी के हृदय को समझना सचमुच नामुमकिन होता । प्यार की गहराई और उष्मा तो साथ रहकर भी नही जान सकते । जान्ने के लिए संवेदनशील होना ज़रूरी है।

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  4. ''शब'' सोचती है कल मिलेंगे उजाले से
    तकदीर में कब उसके उजास होता है !
    Kya baat kahee hai!

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  5. वक़्त की जादूगरी भी क्या खूब है
    हँस हँस कर जीवन उदास होता है

    मन में कहीं गहरे छिपे जज़्बात को
    बहुत खूबसूरत अलफ़ाज़ का लिबास दिया है आपने
    हर पंक्ति
    मानो खुद ही कुछ कहती हुई .... !

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  6. ''शब'' सोचती है कल मिलेंगे उजाले से
    तकदीर में कब उसके उजास होता है !
    bahut hi badhiyaa , badhaai ho

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  7. वक़्त की जादूगरी भी क्या खूब है
    हँस हँस कर जीवन उदास होता है !

    बहुत खूब ...खूबसूरत गज़ल

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  8. चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 15 -03 - 2011
    को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..

    http://charchamanch.uchcharan.com/

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  9. बहुत सुन्दर

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