शुक्रवार, 15 जुलाई 2011

265. मैं भी इंसान हूँ (पुस्तक - 30)

मैं भी इंसान हूँ

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मैं, एक शब्द नही, एहसास हूँ, अरमान हूँ
साँसे भरती हाड़-मांस की, मैं भी जीवित इंसान हूँ। 
दर्द में आँसू निकलते हैं, काटो तो रक्त बहता है
ठोकर लगे तो पीड़ा होती है, दग़ा मिले तो दिल तड़पता है। 
कुछ बंधन बन गए, कुछ चारदीवारी बन गई
पर ख़ुद में, मैं अब भी जी रही। 
कई चेहरे ओढ़ लिए, कुछ दुनिया पहन ली
पर कुछ बचपन ले, मैं आज भी जी रही। 
मेरे सपने, आज भी मचलते हैं
मेरे जज़्बात, मुझसे अब रिहाई माँगते हैं। 
कब, कहाँ, कैसे-से कुछ प्रश्न
यूँ ही पनपते हैं, और ये प्रश्न
मेरी ज़िन्दगी उलझाते हैं। 
हाँ, मैं सिर्फ़ एक शब्द नहीं
साँसे भरती हाड़-मांस की
मैं भी जीवित इंसान हूँ।   

- जेन्नी शबनम (22. 1. 2009)
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14 टिप्‍पणियां:

  1. कई चेहरे ओढ़ ली
    कुछ दुनिया पहन ली,
    पर कुछ बचपन ले
    मैं आज भी जी रही

    वाह लाजवाब बात

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  2. सच कहा आपने हम हैं ही जज़्बातों और हसरतों के पुतले । सुंदर रचना ।

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  3. बधाई |
    जोरदार प्रस्तुति ||
    दो पंक्तियाँ जरा हट के -


    कौन-कब-कैसे-कहाँ-क्योंकर मिला,

    प्रश्न ही यह कल्पनाओं से परे है ||

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  4. जीवन के अन्तर्द्वन्द्व को बहुत सलीके से पेश किया है । ये पंक्तिया तो बहुत टीस पहुँचाती हैं- मेरे सपने आज भी मचलते हैं
    मेरे ज़ज्बात
    मुझसे अब
    रिहाई मांगते हैं|

    कब, कहाँ, कैसे से कुछ प्रश्न
    यूँ हीं पनपते हैं
    और ये प्रश्न
    मेरी ज़िन्दगी उलझाते हैं| 'रिहाई मांगते हैं|' में गहरी तड़प भरी है । जेन्नी शबनम जी मैंने अमृता प्रीतम को34-35 साल पहले भी पढ़ा था और आज फिर पढ़ रहा हूँ । आप कहीं भी उन्नीस नहीं ठहरती ।

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  5. कई चेहरे ओढ़ ली
    कुछ दुनिया पहन ली,
    पर कुछ बचपन ले
    मैं आज भी जी रही|
    sunder panktiyan
    rachana

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  6. मेरे सपने आज भी मचलते हैं
    मेरे ज़ज्बात
    मुझसे अब
    रिहाई मांगते हैं|
    waah

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  7. बेहतरीन अभिव्यक्ति ।

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  8. बहुत ही सुंदर भाव, सुंदर शब्द चयन,
    विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

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  9. मैं, एक शब्द नही
    एहसास हूँ
    अरमान हूँ
    साँसे भरती हाड़-मांस की
    जीवित इंसान हूँ|

    वाह! अद्भुत सुन्दर रचना! कमाल की पंक्तियाँ! शानदार और ज़बरदस्त प्रस्तुती!

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  10. bahut hi ache se apne insan ko wayakt kiya hai sabdon me...
    mam kafi dino baad bloging karne aaya hun kyunki me exam or bimaar hone ke karan net use nahi kar paya tha....
    jai hind jai bharat

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