रविवार, 23 अक्तूबर 2011

295. मेरे शब्द (पुस्तक - 41)

मेरे शब्द

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बहुत कठिन है, पार जाना
ख़ुद से, और उन तथाकथित अपनों से
जिनके शब्द मेरे प्रति
सिर्फ़ इसलिए निकलते हैं कि
मैं आहत हो सकूँ,
खीझकर मैं भी शब्द उछालूँ
ताकि मेरे ख़िलाफ़
एक और मामला
जो अदालत में नहीं
रिश्तों के हिस्से में पहुँचे
और फिर शब्दों द्वारा
मेरे लिए, एक और मानसिक यंत्रणा। 
नहीं चाहती हूँ
कि ऐसी कोई घड़ी आए 
जब मैं भी बेअख़्तियार हो जाऊँ
और मेरे शब्द भी। 
मेरी चुप्पी अब सीमा तोड़ रही है
जानती हूँ, अब शब्दों को रोक न सकूँगी
ज़ेहन से बाहर आने पर
मुमकिन है ये तरल होकर
आँखों से बहे या 
फिर शीशा बनकर
उन अपनों के बदन में घुस जाए
जो मेरी आत्मा को मारते रहते हैं। 
मेरे शब्द
अब संवेदनाओं की भाषा 
और दुनियादारी समझ चुके हैं। 

- जेन्नी शबनम (22. 10. 2011)
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15 टिप्‍पणियां:

  1. नहीं चाहती हूँ
    कि ऐसी कोई घड़ी आये
    जब मैं भी बे अख्तियार हो जाऊं
    और मेरे शब्द भी !...uski yantrana bhi neend le jati hai...

    जवाब देंहटाएं
  2. दीपावली की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ ………

    आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति आज के तेताला का आकर्षण बनी है
    तेताला पर अपनी पोस्ट देखियेगा और अपने विचारों से
    अवगत कराइयेगा ।

    http://tetalaa.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  3. शब्दों को रोक न सकुंगी
    ज़ेहन से बाहर आने से
    मुमकिन है ये तरल होकर
    आँखों से बहे या
    फिर शीशा बनकर
    उन अपनों के बदन में घुस जाए....

    अद्भुत रचना....
    सादर...

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  4. कल के चर्चा मंच पर, लिंको की है धूम।
    अपने चिट्ठे के लिए, उपवन में लो घूम।।
    --
    दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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  5. नहीं चाहती हूँ
    कि ऐसी कोई घड़ी आये
    जब मैं भी बे अख्तियार हो जाऊं
    और मेरे शब्द भी !
    नियंत्रण तो आवश्यक है ही...
    सुन्दर भाव!

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  6. मेरे शब्द
    अब संवेदनाओं की भाषा
    और दुनियादारी
    समझ चुके हैं !

    बहुत सारगर्भित अभिव्यक्ति...बहुत सुन्दर...दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें!

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  7. मेरे शब्द
    अब संवेदनाओं की भाषा
    और दुनियादारी
    समझ चुके हैं !

    वाह ।

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  8. दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ

    जवाब देंहटाएं
  9. प्रभावशाली प्रस्तुति
    आपको और आपके प्रियजनों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें….!

    संजय भास्कर
    आदत....मुस्कुराने की
    नई पोस्ट पर आपका स्वागत है
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  10. एक और
    मामला
    जो अदालत में नहीं
    रिश्तों के हिस्से में पहुंचे
    और फिर
    मेरे लिए शब्दों द्वारा
    एक और
    मानसिक यंत्रणा !
    -इन पंक्तियों में अपनों( वे अपने जो भावना का ख्याल ही नहीं रखते) के कृत्य को बखूबी चित्रित किया गया है।

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