गुरुवार, 5 जनवरी 2012

311. क़र्ज़ जो मुझे चुकाना नहीं (क्षणिका)

क़र्ज़ जो मुझे चुकाना नहीं

*******

जो वक़्त मुझे देते हो, माना ये है काफ़ी
पर मेरे लिए वो क़र्ज़ है
ऐसा क़र्ज़ जो मुझे चुकाना नहीं
क़र्ज़ चुकता किया, तो तुम छूट जाओगे
क़र्ज़ चुकाने दूसरे जन्म में कहाँ मिल पाओगे
इस जन्म में तुम्हारी कर्ज़दार रहना है
अगले जन्म में सिर्फ़ अपने लिए जीना है। 

- जेन्नी शबनम (2. 1. 2012)
_____________________

15 टिप्‍पणियां:

  1. इस जन्म में
    तुम्हारी कर्ज़दार रहना है
    अगले जन्म में
    सिर्फ अपने लिए जीना है !
    वाह ...बहुत खूब ।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत खूब ... मुक्ति की आहट लिए पर अगले जनम में ... बहुत खूब ...
    नया साल मुकबक हो आपको ...

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर..
    थोडा घुमावदार भाव लिए है आपकी कविता..
    बहुत खूब.

    जवाब देंहटाएं
  4. "क़र्ज़ चुकता किया
    तो तुम छूट जाओगे,"

    बहुत ही हटकर सोच मगर सीधे दिल में उतरती ! सुन्दर अभिव्यक्ति !

    जवाब देंहटाएं
  5. वाह! जी वाह!
    यह भी आपने खूब कही.
    इसीलिए शायद कहावत बनी होगी
    'आज नकद कल उधार'

    उसे तो बस प्यार और
    भक्तिपूर्ण दिल ही चाहिये,
    फिर तो सारे कर्ज माफ जी.

    जवाब देंहटाएं
  6. "इस जन्म में
    तुम्हारी कर्ज़दार रहना है
    अगले जन्म में
    सिर्फ अपने लिए जीना है !"

    वाह...वाह...
    बहुत सुन्दर !!

    न जाने कितने क़र्ज़ हैं...
    कैसे चुकने हैं ?
    और किसे चुकाने है ??
    ईश्वर से प्रार्थना है..
    कि इसी जन्म में
    हमें मुक्ति दे दे
    बही खता बंद करे
    अपने लेन-देन का
    और अपनी कलम तोड़ दे..!!

    जवाब देंहटाएं
  7. सुंदर भावपूर्ण रचना ...

    जवाब देंहटाएं
  8. आपने सही लिखा है कि रिश्तों के कर्ज चुकाए नहीं जा सकते हैं|

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत बढ़िया प्रस्तुति,सुंदर रचना......
    welcome to new post--जिन्दगीं--

    जवाब देंहटाएं
  10. आपकी भाव-प्रवण कविता अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट "तुझे प्यार करते-करते कहीं मेरी उम्र न बीत जाए" पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं