गुरुवार, 16 फ़रवरी 2012

324. अकेले से लगे तुम

अकेले से लगे तुम

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आज जाते हुए
बहुत असहाय से दिखे तुम
कंधों पर भारी बोझ
कुछ अपना कुछ परायों का,
इस जद्दोज़ेहद में
अपना औचित्य बनाए रखने का
तुम्हारा अथक प्रयास
हर विफलता के बाद भी
स्वयं को साबित करने की
तुम्हारी दृढ आकांक्षा,
साज़िशों को विफल करने के प्रयास में
साज़िश में उलझते
आज बहुत अकेले से लगे तुम,
तुमको कटघरे में देखना, दुर्भाग्यपूर्ण है
पर सदैव तुम कटघरे में खड़े कर दिए जाते हो
उन सब के लिए
जो तुम्हारे हिसाब से जायज़ था,
जिसे तुम अपने पक्ष में मानते हो
वो ही तुम्हारे ख़िलाफ़ गवाही देते हैं
और सबूत भी रचते हैं,
सही गलत का निर्धारण, जाने कौन करे
परमात्मा आज कल सबके साथ नहीं
कम से कम उनके तो बिल्कुल नहीं
जो तुम्हारी तरह आम हैं।  

- जेन्नी शबनम (16. 2. 2012)
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19 टिप्‍पणियां:

  1. सही गलत का निर्धारण
    जाने कौन करे
    परमात्मा आज कल
    सबके साथ नहीं
    कम से कम उनके तो बिल्कुल नहीं
    जो तुम्हारी तरह आम हैं !

    सच है....वक्त की मार जब पड़ती है तो ऐसे ही जज़्बात उभरते है..

    बेहतरीन लेखन..
    सादर.

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  2. कम से कम उनके तो बिल्कुल नहीं
    जो तुम्हारी तरह आम हैं !

    सच कहा आपने... सुन्दर रचना....
    सादर

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  3. एक आम भावुक की व्यथा को साकार करती हुई बेहतरीन रचना...

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  4. जिसे तुम अपने पक्ष में मानते हो
    वो ही तुम्हारे खिलाफ़ गवाही देते हैं
    और सबूत भी रचते हैं,... लेकिन तुम झूठ के सुख में अकेले हो गए हो

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  5. सहन शक्ति प्रदत रचना !
    बहुत सुन्दर हमेशा की तरह !
    आभार !

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  6. कल 18/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  7. परमात्मा आज कल
    सबके साथ नहीं
    कम से कम उनके तो बिल्कुल नहीं
    जो तुम्हारी तरह आम हैं !
    बहुत सही कहा है आपने ...

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  8. तुमको कटघरे में देखना
    दुर्भाग्य पूर्ण है
    पर सदैव तुम कटघरे में खड़े कर दिए जाते हो
    उन सब के लिए
    जो तुम्हारे हिसाब से जायज़ था,

    सुन्दर रचना.

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  9. बहुत उम्दा
    छल कपट से जीने वालों की
    चल रही
    ईमानदारी अकेले सिसक रही है

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  10. मेहनत कश और अनुशासित की यही कहानी होती है ,, जेन्नी जी ! बहुत ही कारुणिक और उम्मदा प्रस्तुति !

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  11. साजिशों को विफल करने के प्रयास में
    ख़ुद साजिश में उलझते
    आज बहुत अकेले से लगे तुम,
    तुमको कटघरे में देखना
    दुर्भाग्य पूर्ण है....

    एक आम आदमी की लड़ाई । बहुत प्रभावशाली रचना

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  12. बहुत ही सुन्दर
    बेहतरीन रचना...:-)

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  13. वाह!!!!!भावपूर्ण अच्छी अभिव्यक्ति,सराहनीय प्रस्तुति,..

    MY NEW POST ...सम्बोधन...

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  14. बहुत ही सुन्दर ,बेहतरीन प्रस्तुति..

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  15. परमात्मा सबके साथ नहीं ... क्या ये सच है ... शायद इसी बात पे बहस चलती रहती है इंसान के मन में ... आम आदमी के मन में ...
    गहरे भाव ...

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  16. परमात्मा आज कल
    सबके साथ नहीं
    कम से कम उनके तो बिल्कुल नहीं
    जो तुम्हारी तरह आम हैं !
    भगवान से शब्दों के माध्यम से रोष व्यक्त करने में सफल रचना |

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  17. खूबसूरत भावपूर्ण रचना, बधाई

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