गुरुवार, 21 जून 2012

353. कासे कहे

कासे कहे

*******

मद्धिम लौ 
जुगनू ज्यों
वही सूरज
वही जीवन
सब रीता
पर बीता!
जीवन यही
रीत  यही
पीर पराई
भान नहीं
सब खोया 
मन रोया!
कठिन घड़ी
कैसे कटी
मन तड़पे  
कासे कहे
नहीं अपना 
सब पराया!
तनिक पूछो
क्यों चाहे
मूक पाखी
कोई साथी
एक बसेरा
कोई सहारा!

- जेन्नी शबनम (21. 6. 2012)
_____________________

26 टिप्‍पणियां:

  1. WAH ! JENNY JI , AAPNE TO GAAGAR MEIN
    SAAGAR BHAR DIYAA HAI . CHHOTTE -
    CHHOTEE PANKTIYON MEIN AAPNE BADE - BADE BHAV BHARKAR CHAKIT KAR DIYAA
    HAI . MUBAARAQ .

    जवाब देंहटाएं
  2. कम शब्दों का प्रयोग करके सारगर्भित रचना प्रस्तुत की है आपने!
    सुन्दर प्रस्तुति।
    शेअर करने के लिए आभार!

    जवाब देंहटाएं
  3. सब खोया मन रोया ! कठिन घड़ी कैसे कटी
    मन तड़पे कासे कहे नहीं अपना सब पराया ! तनिक पूछो
    क्यों चाहे
    मूक पाखी
    कोई साथी
    एक बसेरा
    कोई सहारा !

    मन की महिमा अपरम्पार है ,जेन्नी जी.

    कहते हैं मन जब स्वयं की आत्मा में ही निमग्न हो जाता है तो उसे सहारा ही नहीं स्थाई बसेरा भी मिल जाता है.पांचो इन्द्रियों की कैद में पड़ा मन तडफता ही रहता है.

    कबीर जी इसीलिए कहतें हैं शायद

    मन पाँचों के बस परा,मन के बस नहीं पांच
    जित देखूँ तित दौ लगी,जित भागूं तित आग

    आपकी भावमय प्रस्तुति के लिए हार्दिक आभार जी.

    जवाब देंहटाएं
  4. अकेलापन.....क्या चाहे ...एक सहारा ...!!!! सुन्दर जेन्नी जी

    जवाब देंहटाएं
  5. तनिक पूछो
    क्यों चाहे
    मूक पाखी
    कोई साथी
    एक बसेरा
    कोई सहारा !.... चाह तो होती ही है न

    जवाब देंहटाएं
  6. बधाइयाँ बधाइयाँ बधाइयां ।।



    दो शब्दों की पंक्तियाँ, ढाती जुल्म अपार ।

    पीर पराई कर रही, शब्दों का व्यापार ।

    शब्दों का व्यापार, सफ़र लम्हों का चालू ।

    सावन मोती प्यार, सीप-मन श्रृद्धा पा लूं ।

    पर तडपे मन-व्यग्र, ढूँढ़ता सच्चा हमदम ।

    ताप लगे अति तेज, बचा ले बिखरी शबनम ।।

    जवाब देंहटाएं
  7. प्रस्तुति चर्चा मंच पर, मचा रही हडकम्प ।

    मित्र नहीं देरी करो, मार पहुँचिये जम्प ||

    --

    शुक्रवारीय चर्चा मंच

    जवाब देंहटाएं
  8. सुन्दर भाव ..लाजवाब..जन्नी जी.

    जवाब देंहटाएं
  9. कल 22/06/2012 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  10. दो शब्द
    गहन भाव
    कहीं जुड़ाव
    कहीं टकराव
    सूखा सावन
    यही जीवन
    मौन सहें
    कासे कहें
    सुंदर रचना
    सत्य कल्पना ||

    जवाब देंहटाएं
  11. रचना जितनी खूबसूरत है उतने ही अच्छे भाव और सन्देश भी..
    सादर
    मधुरेश

    जवाब देंहटाएं
  12. अपने ही तरह की... बहुत खुबसूरत... भाव भरी रचना...
    सादर बधाई स्वीकारें.

    जवाब देंहटाएं
  13. तनिक पूछो
    क्यों चाहे
    मूक पाखी
    कोई साथी
    एक बसेरा
    कोई सहारा !
    बहुत सुन्दर भाव प्यारी प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  14. सहज,सरल एवं सुन्दर .

    जवाब देंहटाएं
  15. बहुत ही भावना पूर्ण प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  16. बहुत ही भावना पूर्ण प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  17. बहुत ही भावना पूर्ण प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  18. आप प्रभावशाली लिखती हैं ...

    जवाब देंहटाएं
  19. थोड़े शब्दों में यथार्थ का सटीक स्पष्टीकरण ...आभार !!!!!!!!!!!!!!!!!!!

    जवाब देंहटाएं
  20. कहाँ हैं जेन्नी जी आजकल.
    बहुत दिनों से कोई पोस्ट नही.

    मेरा ब्लॉग भी आपके दर्शनों के
    लिए इंतजार रत है.

    जवाब देंहटाएं