शुक्रवार, 8 मार्च 2013

389. अब न ऊ देवी है न कड़ाह

अब न ऊ देवी है न कड़ाह

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सरेह से अभी-अभी लौटे हैं   
गोड़ में कादो-माटी, अँचरा में लोर  
दउरी में दू ठो रोटी-नून-मर्चा 
जाने काहे आज मन नहीं किया 
कुछो खाने का
न कौनो से बतियाने का 
भोरे से मन बड़ा उदास है 
मालिक रहते त आज इ दिन देखना न पड़ता 
आसरा छूट जाए, त केहू न अपन 
दू बखत दू-दू गो रोटी आ दू गो लूगा (साड़ी)
इतनो कौनो से पार न लगा  
अपन जिनगी लुटा दिए
मालिक चले गए 
कूट पीस के बाल बच्चा पोसे, हाकिम बनाए
अब इ उजर लूगा 
आ भूईयाँ पर बईठ के खाने से 
सबका इज्जत जाता है 
अपन मड़इए ठीक
मालिक रहते त का मजाल जे कौनो आँख तरेरता
भोरे से अनाज उसीनाता 
आ दू सेर धान-कुटनी ले जाती
अब दू कौर के लिए
भोरे-भोरे, सरेहे-सरेहे... 
आह!
अब न ऊ देवी है न कड़ाह। 

- जेन्नी शबनम (8. 3. 13)
(अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर)
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17 टिप्‍पणियां:

  1. डबडब हैं आँखें .. अरसों हुए लेकिन ज़हन से न तो इसका मर्म जा सकता है, न ये सारे शब्द जो आपने इस रचना को दिए हैं .. बहुत सारी पुरानी तस्वीरें सामने आ गयीं आँखों के ..
    सादर
    मधुरेश

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  2. ज़िन्दगी की भीड़ में खो जाने वाली साधारण महिला के असाधारण संघर्ष और जिजीविषा की मार्मिक कथा । डॉ जेन्नी शबनम शब्दों की शक्ति को भली तरह समझती हैं । आपकी भाषा भावों की अनुगामिनी रहती है । इस आंचलिक भाषा का माधुर्य और शक्ति बेजोड़ है। ब्लाग में बेसिर पैर का शब्दजाल परोसने वालों को यह मर्मस्पर्शी कविता ज़रूर पढ़नी चाहिए ।मेरी ओर से हार्दिक बधाई!!

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  3. बढ़िया प्रस्तुति है आदरेया-

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  4. सुन्दर प्रस्तुति,आभार.

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  5. यु.पि और बिहार के पुराणी प्रथा को याद दिला दिहनी रौआ | गंभीर समस्या को उजागर कराती कविता |

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  6. मालिक रहते त
    का मजाल जे कौनो आँख तरेरता
    भोरे से अनाज उसीनाता
    आ दू सेर धान-कुटनी ले जाती
    अब दू कौर के लिए
    भोरे-भोरे
    सरेहे-सरेहे...
    आह !
    अब न ऊ देवी है न कड़ाह !

    नारी का सबसे बड़ा धन उसका पति .

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  7. गंभीर समस्या पर सार्थक चिंतन.

    शिवरात्रि की शुभकामनायें.

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  8. बहुत खूब सार्धक लाजबाब अभिव्यक्ति।
    महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ ! सादर
    आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
    अर्ज सुनिये
    कृपया मेरे ब्लॉग का भी अनुसरण करे

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  9. महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ.

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  10. बहुत सार्थक प्रस्तुति आपकी अगली पोस्ट का भी हमें इंतजार रहेगा महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाये

    आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
    अर्ज सुनिये

    कृपया आप मेरे ब्लाग कभी अनुसरण करे

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  11. सुन्दर प्रस्तुति... बधाई

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत उम्दा प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...

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  13. सुन्दर प्रस्तुति .पोस्ट दिल को छू गयी.कितने खुबसूरत जज्बात .बहुत खूब,

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  14. ek alag hat ke likhi hui rachna.. dil ko chu gayi. bahut samay baad yahan ana hua.

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