रविवार, 20 अक्तूबर 2013

421. ज़िन्दगी (21 हाइकु) पुस्तक 44-46

ज़िन्दगी

*******

1.
लम्हों की लड़ी
एक-एक यूँ जुड़ी
ज़िन्दगी ढली।

2.
गुज़र गई
जैसे साज़िश कोई
तमाम उम्र।

3.
ताकती रही
जी गया कोई और
ज़िन्दगी मेरी।

4.
बिना बताए
जाने किधर गई
मेरी ज़िन्दगी

5.
फैला सन्नाटा
ज़मीं से नभ तक,
ज़िन्दगी कहाँ?

6.
कैसी पहेली
ज़िन्दगी हुई अवाक्
अनसुलझी।

7.
उलझी हुई 
है अजब पहेली
मूर्ख ज़िन्दगी

8.
ज़िन्दगी बीती
जैसे शोर मचाती
आँधी गुज़री।

9.
शोर मचाती
बावरी ये ज़िन्दगी 
भागती रही।

10.
खींचती रही
अन्तिम लक्ष्य तक
ज़िन्दगी-रथ।

11.
रिसता लहू
चाक-चाक ज़िन्दगी 
चुपचाप मैं।

12.
नहीं खिलती
ज़िन्दगी की बगिया
रेगिस्तान में।

13.
तड़पी सदा 
जल-बिन मीन-सी 
ज़िन्दगी बीती

14.
रौशन होती
ग़ैरों की चमक से
हाय ज़िन्दगी!

15.
तमाम उम्र
भरमाती ही रही
ज़िन्दगी छल।

16.
मौन ही रहो
ज़िन्दगी चुप रहो
ज्यों सूरज है।

17.
ज़िन्दगी ढली
मगर चुपचाप
ज्यों रात ढली।

18.
सूरज ढला
ज़िन्दगी भी गुज़री
सब ख़ामोश।

19.
अब भी शेष
देहरी पर मन
स्वाहा ज़िन्दगी

20.
मेरी ज़िन्दगी 
कहानी बन गई
सबने कही।

21.
हवन हुई
बादलों तक गई
ज़िन्दगी धुँआ।

- जेन्नी शबनम (10. 10. 2013)
_____________________

19 टिप्‍पणियां:

  1. खींचती रही
    अन्तिम लक्ष्य तक
    ज़िन्दगी-रथ ।

    बेहतरीन सुंदर रचना !

    RECENT POST : - एक जबाब माँगा था.

    जवाब देंहटाएं
  2. हवन हुई
    बादलों तक गई
    ज़िन्दगी धुँआ ।
    गहन ...सभी हाइकु अर्थपूर्ण ...!!

    जवाब देंहटाएं
  3. सभी हाइकू बहुत सुन्दर |

    मेरी नई रचना:- "झारखण्ड की सैर"

    जवाब देंहटाएं
  4. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन बच्चा किस पे गया है - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज सोमवार (21-10-2013)
    पिया से गुज़ारिश :चर्चामंच 1405 में "मयंक का कोना"
    पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  6. संक्षेप में बहुत कुछ कहती भावपूर्ण रचना |
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत बहुत सुन्दर हायकू.....
    हर एक लाजवाब...भावपूर्ण...

    ताकती रही
    जी गया कोई और
    ज़िन्दगी मेरी ।

    बहुत बढ़िया जेन्नी जी.

    अनु

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  8. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुती आदरेया।

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  9. जिंदगी को कितने आयाम दिए हैं ... हर हाइकू अलग अंदाज़ से बयाँ कर रहा है ...

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  10. बहुत सुंदर हाइकू जिंदगी के, पल पल का हिसाब देते हुए।
    . ताकती रही
    जी गया कोई और
    ज़िन्दगी मेरी । 4.
    ये वाला बहुत ही भाया।

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  11. ज़िन्दगी के हर रंग को शब्दों में उड़ेल दिया
    बहुत खूबसूरत ......

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