गुरुवार, 25 दिसंबर 2014

479. एक सांता आ जाता

एक सांता आ जाता 

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मन चाहता  
भूले भटके
मेरे लिए दोनों हाथों में तोहफ़ा लिए
काश! आज मेरे घर  
एक सांता आ जाता।  

गहरी नींद से मुझे जगा
अपनी झोली से निकाल थमा देता
मेरी हाथो में परियों वाली जादू की छड़ी
और अलादीन वाला जादुई चिराग। 

पूरे संसार को छू लेती
जादू की उस छड़ी से
और भर देती सबके मन में
प्यार ही प्यार, बहुत अपार। 

चिराग के जिन से कहती-
पूरी दुनिया को दे दो 
कभी ख़त्म न होने वाला अनाज का भंडार
सबको दे दो रेशमी परिधान   
सबका घर बना दो राजमहल
न कोई राजा न कोई रंक
फिर सब तरफ़ दिखता 
ख़ुशियों का रंग।  

काश! 
आज मेरे घर   
एक सांता आ जाता।  

- जेन्नी शबनम (25. 12. 2014)
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6 टिप्‍पणियां:

  1. Aapkee Abhilasha awashya Hee Puri
    Hogi . Sundar Kavita .

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  2. सार्थक प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (27-12-2014) को "वास्तविक भारत 'रत्नों' की पहचान जरुरी" (चर्चा अंक-1840) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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