बुधवार, 29 जून 2016

517. अनुभव (क्षणिका)

अनुभव  

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दोराहे, निश्चित ही द्वन्द्व पैदा करते हैं  
एक राह छलावा का, दूसरा जीवन का  
इनमें कौन सही  
इसका पता दोनों राहों पर चलकर ही होता है  
फिर भी, कई बार अनुभव धोखा दे जाता है  
और कोई पूर्वाभास भी नहीं होता   

- जेन्नी शबनम (29. 6. 2016)  
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4 टिप्‍पणियां:

  1. जय मां हाटेशवरी...
    अनेक रचनाएं पढ़ी...
    पर आप की रचना पसंद आयी...
    हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
    इस लिये आप की रचना...
    दिनांक 01/07/2016 को
    पांच लिंकों का आनंद
    पर लिंक की गयी है...
    इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (01-07-2016) को "आदमी का चमत्कार" (चर्चा अंक-2390) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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