शनिवार, 1 अप्रैल 2017

542. विकल्प (क्षणिका)

विकल्प  

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मेरे पास कोई विकल्प नहीं  
मैं हर किसी की विकल्प हूँ   
कामवाली, सफ़ाईवाली, रसोईया छुट्टी पर 
पशु को खिलानेवाला, चौकीदार छुट्टी पर 
तो मैं इन सभी की विकल्प बनती हूँ   
पर, मैं विकल्पहीन हूँ    
काश! मेरा भी कोई विकल्प हो  
एक दिन ही सही मैं छुट्टी पर जाऊँ   

- जेन्नी शबनम (1. 4. 2017)  
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9 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (02-04-2017) को
    "बना दिया हमें "फूल" (चर्चा अंक-2613
    पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

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  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 02 अप्रैल 2017 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. वाह ! बहुत खूब पंक्तियाँ आदरणीय

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  4. विकल्क हिन होना भी तो एक विकल्प ही हैं

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  5. ये तो अमित शाह की बानी है. इसको हमको-आपको नहीं, बल्कि मोदी जी को पढ़ना और समझना चाहिए.

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  6. नारी की पीड़ा की सहज अभिव्यक्ति

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  7. आपका विकल्प?अरे,इतनों का आप ही तो विकल्प है -नहीं,इसमें कोई छूट नहीं.

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