सोमवार, 20 जुलाई 2020

678. चिड़िया फूल या तितली होती (चोका - 13)

चिड़िया फूल या तितली होती 

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अक्सर पूछा   
खुद से ही सवाल   
जिसका हल   
नहीं किसी के पास,   
मैं ऐसी क्यों हूँ ?   
मैं चिड़िया क्यों नहीं   
या कोई फूल   
या तितली ही होती,   
यदि होती तो   
रंग-बिरंगे होते   
मेरे भी रूप   
सबको मैं लुभाती   
हवा के संग   
डाली-डाली फिरती   
खूब खिलती   
उड़ती औ नाचती,   
मन में द्वेष   
खुद पे अहंकार   
कड़वी बोली   
इन सबसे दूर   
सदा रहती   
प्रकृति का सानिध्य   
मिलता मुझे   
बेख़ौफ़ मैं भी जीती   
कभी न रोती   
बेफ़िक्री से ज़िन्दगी   
खूब जीती   
हँसती ही रहती   
कभी न मुरझाती !

- जेन्नी शबनम (20. 7. 2020)
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12 टिप्‍पणियां:

  1. काश ! ऐसा होता !

    रेखा श्रीवास्तव

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  2. जो नहीं होते, उसके जैसे बनने की चाह होती ही है.

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  3. नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 21 जुलाई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!


    आपकी रचना की पंक्ति-

    "प्रकृति का सानिध्य मिलता मुझे ..."

    हमारी प्रस्तुति का शीर्षक होगी।

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  4. इंसान की चाह का कोई अंत नहीं और हो भी क्यों ... सोचने और महसूस करने की शक्ति जो सबसे ज़्यादा है ... पर ऐसे सपनों का होना भी ज़रूरी है जीने के लिए ...

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  5. वाह!!सुंदर भावाभिव्यक्ति ।

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  6. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (22-07-2020) को     "सावन का उपहार"   (चर्चा अंक-3770)     पर भी होगी। 
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  
    --

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  7. आदरणीया मैम,
    एपीजे ब्लॉग पर पहली बार आकर अच्छा लगा। बहुत ही सुंदर, प्यारी सी कविता है आपकी।
    आपकी इतनी कोमल और आनन्दकर कल्पना मन को प्रेरणा देती है और आनंद से भर देती है।
    इतनी प्यारी रचना के लिए बहुत बहित आभार।
    एक अनुरोध और,कृपया मेरे भी ब्लॉग और आइये। मैं वहाँ अपनी स्वरचित कविताएं डालती हूँ। आपके आशीष व प्रोत्साहन के लिये आभारी रहूँगी।
    लिंक कोय नहीं कर पा रही। मेरे नाम पर क्लिक करियेगा, वो आपको मेरे प्रोफ़ाइल तक ले जाएगा। वहाँ मेरे ब्लॉग काव्यतरंगिनी के नाम पर क्लिक करियेगा, आप मेरे ब्लॉग तक पहुंच जाएंगी।
    धन्यवाद

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  8. हर बार की तरह सुंदर भावपूर्ण सृजन जेन्नी जी ।
    अप्रतिम।

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