स्मृति 
(11 हाइकु)
***
1. 
स्मृति में तुम   
जैसे फैला आकाश   
सुवासित मैं।   
2. 
क्षणिक प्रेम   
देता बड़ा आघात   
रोता है मन।   
3. 
अधूरी चाह   
भटकता है मन   
नहीं उपाय।   
4. 
कई सवाल   
सभी अनुत्तरित,   
किससे पूछें?   
5. 
मेरे सवाल   
उलझाते हैं मुझे,   
कैसे सुलझे?   
6. 
ज्यों तुम आए   
जी उठी मैं फिर से   
अब न जाओ।   
7. 
रूठ ही गई   
फुदकती गौरैया   
बगिया सूनी।   
8. 
मेरा वजूद   
नहीं होगा सम्पूर्ण   
तुम्हारे बिना।   
9. 
जाएगी कहाँ   
चहकती चिड़िया   
उजड़ा बाग़।   
10. 
पेड़ की छाँव   
पथिक का विश्राम   
अब हुई कथा।   
11. 
जिजीविषा है   
फिर क्यों हारना?   
यही जीवन।   
-जेन्नी शबनम (24.3.2011)
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वाह
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर हाइकु ।
"
जाएगी कहाँ
चहकती चिड़िया
उजड़ा बाग़।"
सादर
जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (१६-०६-२०२१) को 'स्मृति में तुम '(चर्चा अंक-४०९७) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
वाह।
जवाब देंहटाएंक्षणिक प्रेम
जवाब देंहटाएंदेता बड़ा आघात
रोता है मन।
बहुत खूब
रूठ ही गई
जवाब देंहटाएंफुदकती गौरैया
बगिया सूनी
वाह!!!
लाजवाब हायकु।
लाजवाब हाइकु
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर हाइकु
जवाब देंहटाएंसुन्दर हाइकु। बधाई मित्र
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