शुक्रवार, 19 अगस्त 2011

273. फिर से मात (तुकांत)

फिर से मात

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बेअख़्तियार-सी हैं करवटें, बहुत भारी है आज की रात
कह दिया यूँ तल्ख़ी से उसने, तन्हाई है ज़िन्दगी की बात। 

साथ रहने की वो गुज़ारिश, बन चली आँखों में बरसात
ख़त्म होने को है ज़िन्दगानी, पर ख़त्म नहीं होते जज़्बात।  

सपने पलते रहे आसमान के, छूटी ज़मीन बने ऐसे हालात
वक़्त से करते रहे थे शिकवा, वक़्त ही था बैठा लगाए घात। 

शिद्दत से जिसे चाहा था कभी, मिले हैं ऐसे कुछ लम्हे सौग़ात
अभी जाओ ओ समंदर के थपेड़ों, आना कभी फिर होगी मुलाक़ात। 

दोराहे पर है ठिठकी ज़िन्दगी, क़दम-क़दम पर खड़ा आघात
देखो सब हँस पड़े क़िस्मत पर, 'शब' ने खाई है फिर से मात। 

- जेन्नी शबनम (11. 8. 2011 )
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9 टिप्‍पणियां:

  1. बेअख्तियार सी हैं करवटें
    बहुत भारी है आज की रात,
    कह दिया यूँ तल्ख़ी से उसने
    तन्हाई है ज़िन्दगी की बात !

    साथ रहने की वो गुज़ारिश
    बन चली आँखों में बरसात,
    ख़त्म होने को है जिंदगानी
    पर ख़त्म नहीं होते जज़्बात !
    शुरू के ये दो .....बहुत अच्छे लगे .

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  2. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज शनिवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
    यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो
    चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।

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  3. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति आज के तेताला का आकर्षण बनी है
    तेताला पर अपनी पोस्ट देखियेगा और अपने विचारों से
    अवगत कराइयेगा ।

    http://tetalaa.blogspot.com/

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  4. ख़त्म होने को है जिंदगानी
    पर ख़त्म नहीं होते जज़्बात !

    अपकी रचना ’लम्हो का सफर ’ की निम्न दो पंक्तियां बहुत खूबसूरत बन पडी है .

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  5. जेन्नी जी आपकी ये पंक्तियाँ मन पर गहरी छाप छोड़ aजती हैं
    साथ रहने की वो गुज़ारिश
    बन चली आँखों में बरसात,
    ख़त्म होने को है जिंदगानी
    पर ख़त्म नहीं होते जज़्बात !

    सपने पलते रहे आसमान के
    छूटी ज़मीन बने ऐसे हालात,
    वक़्त से करते रहे थे शिकवा
    वक़्त हीं था बैठा लगाए घात !
    -फिर भी आदमी सिर्फ़ इसलिए आदमी है कि वह सपने देखता है । कम ही सही कभी न कभी कुछ सपने तो पूरे होने के लिए छटपटाते हैं। दर्द को रूपायित करती कविता!

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  6. दोराहे पर है ठिठकी ज़िन्दगी
    कदम कदम पर खड़ा आघात.
    देखो सब हँस पड़े किस्मत पर
    ''शब'' ने खाई है फिर से मात !
    बहुत सुन्दर दर्द को परिभाषित करती खूबसूरत रचना |

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