बीत गया
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अच्छा हुआ बीत गया
हार का एक मनका
अच्छा हुआ टूट गया।
समय का मौसम
ये भी किस्सा ख़ूब रहा
तमाशबीन मेरा मन रहा।
हर कथा का सार वही
मन का मनका
साथ-साथ बिलख पड़े
आस का पंछी रूठ गया।
दोपहरी जलाती रही
साँझ कभी आती नहींये भी किस्सा ख़ूब रहा
तमाशबीन मेरा मन रहा।
हर कथा का सार वही
जीवन का आधार वही
वक़्त से रंज क्यों
फ़लसफ़ा मेरा कह रहा।
- जेन्नी शबनम (31. 12. 2011)
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