अब डूबने को है
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बहाने नहीं हैं पलायन के
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बहाने नहीं हैं पलायन के
न कोई अफ़साने हैं मेरे
न कोई ऐसा सच, जिससे तुम भागते हो
और सोचते हो कि मुझे तोड़ देगा।
सारे सच
जो अग्नि से प्रज्वलित होकर निखरे हैं
तुम जानते हो दोस्त! वह मैंने ही जलाए थे
पल-पल की बातें जब भारी पड़ गईं
एक दोने में लपेटकर नदी में बहा दिया
फिर वह दोना एक मछुआरे ने मुझ तक पहुँचा दिया
क्योंकि उस पर मैंने अपने नाम लिख दिए थे
ताकि जब जल में समाए
अपने साथ मुझे भी समाहित कर ले।
अब उस दोने को जला रही हूँ
सारे सच पक-पककर गाढे रंग के हो गए हैं
वह देखो मेरे दोस्त! सूरज-सा तपता मेरा सच
अब डूबने को है।
- जेन्नी शबनम (17.11.2011)
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सुंदर भावपूर्ण !
जवाब देंहटाएंsach nahi doobega ... usse lipta jo bhramit jhuth tha ...wahi doobega
जवाब देंहटाएंbahut gahan abhivyakti.behtreen.
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव संयोजन्।
जवाब देंहटाएंबहुत मार्मिक बात कह दी गई इन पंक्तियों में
जवाब देंहटाएं-तुम जानते हो दोस्त
वो मैंने हीं जलाए थे,
पल पल की बातें जब भारी पड़ गई
एक दोने में लपेट कर नदी में बहा दी -
जेन्नी जी की एक विशेषता है -मन की पर्तों को भेदकर भीतरी उथल-पुथल को बाहर लाना । इस कठिन काम को आप बहुत सहजता से निभा लेती हैं। हार्दिक बधाई !
सारे सच पक-पक कर
जवाब देंहटाएंगाढे रंग के हो गए हैं,
वो देखो मेरे दोस्त
सूरज सा तपता मेरा सच...
अब डूबने को है !
खूबसूरत भाव.
Ati sunder shabnam ji
जवाब देंहटाएंजब भी आपके पोस्ट पर आया हूँ, हर समय कुछ न कुछ सीखने वाला चीज मिला है। यह पोस्ट अच्छा लगा । मेरे नए पोस्ट "खुशवंत सिंह" पर आपकी प्रतिक्रियायों की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी। धन्यवाद
जवाब देंहटाएंजब भी आपके पोस्ट पर आया हूँ, हर समय कुछ न कुछ सीखने वाला चीज मिला है। यह पोस्ट अच्छा लगा । मेरे नए पोस्ट "खुशवंत सिंह" पर आपकी प्रतिक्रियायों की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी। धन्यवाद
जवाब देंहटाएंवो देखो मेरे दोस्त
जवाब देंहटाएंसूरज सा तपता मेरा सच...
अब डूबने को है !
बहुत बढि़या।
Very very Nice post our team like it thanks for sharing
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति सुंदर पन्तियाँ अच्छी रचना,....
जवाब देंहटाएंमेरी नई पोस्ट की चंद लाइनें पेश है....
आफिस में क्लर्क का, व्यापार में संपर्क का.
जीवन में वर्क का, रेखाओं में कर्क का,
कवि में बिहारी का, कथा में तिवारी का,
सभा में दरवारी का,भोजन में तरकारी का.
महत्व है,...
पूरी रचना पढ़ने के लिए काव्यान्जलि मे click करे
पल पल की बातें जब भारी पड़ गई एक दोने में लपेट कर नदी में बहा दी
जवाब देंहटाएंवाह! क्या सोच और प्रस्तुति है आपकी.
आपके लम्हों का सफर अदभुत है ,जेन्नी जी.
मार्मिक और हृदयस्पर्शी.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार आपका.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
गहन अभिव्यक्ति!!
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