पहले गलत सूचना लगा गई है ...अब यह है आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (03-06-2013) के :चर्चा मंच 1264 पर ,अपनी प्रतिक्रिया के लिए पधारें सूचनार्थ |
सचमुच यह सूर्य बहुत कंजूस है । हवाओं को कुछ नहीं दिया ।आपने शगुन का बहुत प्रभावशाली प्रयोग किया है । इस नवीन उद्भावना के लिए आपको बहुत साधुवाद !इन पंक्तियों पर आपको शगुन मिलना चाहिए !
शबनम जी सूरज जब उगता है तो दिन की शुरुवात होती है और नयी उमंग के साथ दिन का स्वागत करता है उसी प्रकार हमें भी अपनी पुराणी समस्याओं से निकल नयी उर्जा के साथ अपनी मंजिल की तरफ बढ़ना चाहिए .... सादर !
सूरज ऐसा ही है ... अपना धर्म जो करता है ...
जवाब देंहटाएंभावमय रचना ...
LAJWAAB JENNY JI .
जवाब देंहटाएंपहले गलत सूचना लगा गई है ...अब यह है
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (03-06-2013) के :चर्चा मंच 1264 पर ,अपनी प्रतिक्रिया के लिए पधारें
सूचनार्थ |
सचमुच यह सूर्य बहुत कंजूस है । हवाओं को कुछ नहीं दिया ।आपने शगुन का बहुत प्रभावशाली प्रयोग किया है । इस नवीन उद्भावना के लिए आपको बहुत साधुवाद !इन पंक्तियों पर आपको शगुन मिलना चाहिए !
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति ,,,
जवाब देंहटाएंrecent post : ऐसी गजल गाता नही,
अच्छी रचना.
जवाब देंहटाएंसूरज के पास देने को रौशनी है ,शगुन ?
बहुत सुन्दर..अभिव्यंजना में आप का स्वागत है..
जवाब देंहटाएंपर सूरज है कि
जवाब देंहटाएंजलने के सिवा
कोई शगुन नहीं देता...!
Waah!
शबनम जी सूरज जब उगता है तो दिन की शुरुवात होती है और नयी उमंग के साथ दिन का स्वागत करता है उसी प्रकार हमें भी अपनी पुराणी समस्याओं से निकल नयी उर्जा के साथ अपनी मंजिल की तरफ बढ़ना चाहिए .... सादर !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
हम जो हैं वो न करें तो सूरज कैसे कहलायेंगे
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