सिगरेट
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1.
अदना-सी सिगरेट (नवधा-197)
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क्यों कहते हो कि उसे छोड़ दूँ
अदना-सी, वह क्या बिगाड़ती है तुम्हारा?
मैंने समय इसके साथ ही गुज़ारा
इसने ख़ुद को जलाए, दिया मुझको सहारा।
इसके साथ मेरा वक़्त बेफ़िक्र रहता है
और जीवन बेपरवाह चलता है
तनहाइयों में एक वही तो है, जो साथ रहती है
मनोदशा को बेहतर समझती है
और मिज़ाजपुर्सी करती है
ख़ुद को जलाकर बादलों-सा सफ़ेद धुआँ बनकर
उसमें मेरी मनचाही आकृतियाँ गढ़ती है।
हाँ! मालूम है मुझे
उसके साथ मेरी साँसे घट रही हैं
मेरे फेफड़ों पर कालिख जम रही है
पर वह तलब है मेरी, ज़रूरत है मेरी
रगों में वह जीवन-वायु बन घुल चुकी है
सिगरेट मेरी बेचैनी समझती है
मेरी राज़दार, मेरे अकेलेपन की साथी
मुझे कभी अकेला नहीं छोड़ती है।
उसके बिना साँसें बचें भी तो क्या
यों भी मौत तो एक दिन आनी है
इसके साथ ही आए
ज़िन्दगी और मौत इसके साथ ही सुहाती है
दिल इसे छोड़कर किधर जाए।
2.
सिगरेट : इन्सान
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धीरे-धीरे फूँक-फूँककर
सिगरेट को इन्सान राख बनाता है
सिगरेट धीरे-धीरे अपनी गिरफ़्त में लेकर
इन्सान को राख के ढेर तक पहुँचाती है
अन्तिम सत्य- दोनों का राख में तब्दील होना
तय वक़्त पर दोनों ख़ाक होते हैं
एक दूसरे के ये अद्भुत यार
एक दूजे को जलाकर ख़ाक में मिलते हैं
जबतक जीते हैं दोनों यारी निभाते हैं।
3.
आख़िरी सिगरेट
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सिगरेट के राख बनने तक
घड़ी की सूई बेलगाम भागती है
शायद याद दिलाती है मुझे
ज़ल्दी ही एक दिन राख बनना है
सिगरेट थामे मेरी उँगलियाँ अक्सर काँप जाती है
क्या पता इस उम्र की यह आख़िरी सिगरेट हो
क्या पता यह अन्तिम कश हो
या मेरी उम्मीद की अन्तिम साँसें
जिसे सिगरेट के हवाले किया है।
4.
सिगरेट की यारी
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सब कहते-
सिगरेट यार नहीं दुश्मन है
जान लेकर कैसी यारी निभाती है?
छोड़ दो न ऐसी यारी!
पर जीने का सहारा कोई तो बताए
सिगरेट से ज़्यादा कोई तो साथ निभाए
एक वही तो है
जो मेरे दर्द को समेटकर
मेरे मन की आग से ख़ुद को जलाती है
भले मेरा फेफड़ा जलता है
पर मेरी ज़िन्दगी
वाह! नशा ही नशा है
इससे अच्छी कोई और है क्या?
5.
सिगरेट को श्रधांजलि
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चलो कहते हो तो छोड़ देते हैं
उसे जीवन से दूर कर देते हैं
पर वादा करो, सच्चा वाला वादा
मेरे रिसते ज़ख़्मों पर मरहम लगाओगे
मेरे हर दर्द पर तंज तो न कसोगे
मेरी नाकामियों में साथ तो न छोड़ोगे?
जब-जब हार मिले मेरा सम्बल बनोगे?
हर हालात में मेरा साथ निभाओगे?
नाराज़ हो जाऊँ, तब भी तुम प्यार करना न छोड़ोगे?
हाँ! पक्का वादा, सच्चा वादा, प्यार का वादा!
वाह! अब वादा कर लिया तुमने
मालूम है, तुम कसमें निभाओगे
अब मेरी बारी है वादा करने की
सच्चा वाला, अच्छा वाला, प्यारा वाला वादा
आज से सिगरेट को तिलांजलि
आओ, दे दें उसे श्रद्धांजलि
अब तुम में ही सिगरेट
तुम्हें अर्पित पुष्पांजलि।
-जेन्नी शबनम (31.5.2021)
(विश्व तम्बाकू निषेध दिवस पर)
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सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसिगरेट पीने के भी अपने कारण और बहाने हैं....। साथ निभाने का सच्चा और पक्का वादा मिलने पर सिगरेट की तिलांजलि और श्रद्धांजलि का वादा ज्यादातर कच्चा होता है .....सिगरेट के कश के साथ ही हर वादे राख होते रहते हैं।
जवाब देंहटाएंसिगरेट जैसे विषय पर भी आपकी लेखनी ने अद्भुत एवं लाजवाब सृजन रचा है
सादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (2 -6-21) को "ऐसे ही घट-घट में नटवर"(चर्चा अंक 4084) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
--
कामिनी सिन्हा
यह वह लत है जो इतनी भयावह चेतावनियों के बाद भी नही छूटती..!
जवाब देंहटाएंवास्तविकता का सुंदर चित्रण जेनी जी..😊
होठों से चिपकी रहनी वाली सिगरेट पहले खुद को भस्म होकर अपने प्रेमी को अपना नशा पिलाती है, फिर उसे पीकर भष्मभूत कर देती है। लागे नहीं छूटे राम।😀
जवाब देंहटाएंवाह, सिगरेट को भी जानकारी न होगी कि उसके लिए ऐसा विशेष लिखा जा सकता है।
जवाब देंहटाएंसुन्दर
प्रेरणात्मक पोस्ट, काश ! इसे पढ़कर कोई एक जन तो छोड़ दे इसे..
जवाब देंहटाएंकटु सत्य को कहती हर रचना । शिक्षाप्रद और संदेशात्मक रचना
जवाब देंहटाएंसिगरेट का नशा और उसे श्रधांजलि देती मेरी रचनाओं को आप सभी ने पसंद किया, बहुत आभार. सच है यह ऐसा नशा कि सारे वादे कच्चे ही होते हैं. सारी चेतावनियों के बावज़ूद - लागी नाहीं छूटे रामा... चाहे क़ज़ा आए. काश कि कोई सिगरेट को बता पाता कि सिगरेट का अस्तित्व लेखन में भी है. मेरे सन्देश से कोई भी एक व्यक्ति सिगरेट के लत से मुक्ति पा ले तो सच में ख़ुशी होगी और मेरा लिखना सार्थक होगा. आप सभी का आभार!
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 03 जून 2021 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
"...
जवाब देंहटाएंधीरे-धीरे फूँक-फूँककर
सिगरेट को इन्सान राख बनाता है
सिगरेट धीरे-धीरे अपनी गिरफ्त में लेकर
इन्सान को राख के ढेर तक पहुँचाती है
..."
..........वाह! क्या चलचित्र वाली रचना प्रस्तुत की है आपने। बेहतरीन।
"...
सच्चा वाला, अच्छा वाला, प्यारा वाला वादा
आज से सिगरेट को तिलांजलि
आओ, दे दें उसे श्रद्धांजलि
अब तुम में ही सिगरेट
तुम्हें अर्पित पुष्पांजलि।
...."
.........काश सब लोग इसी प्रकार अपने प्रिय जन से ऐसे ही वादा कर लें।
सचेत करने का संदेश देती रचनाएं।
जवाब देंहटाएंसच्चा वाला, अच्छा वाला, प्यारा वाला वादा
जवाब देंहटाएंआज से सिगरेट को तिलांजलि
सुन्दर संदेश
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 9 जून 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
सच कहा इंसान की सिगरेट पीने के बहाने ही चाहिए ।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति ।