गुरुवार, 26 फ़रवरी 2009

27. मैं आज ग़ज़लों की किताब बनूँगी

मैं आज ग़ज़लों की किताब बनूँगी

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आज मैं कोरा काग़ज़ बनूँगी   
या कैनवास का रूप धरुँगी,   
आज किसी के कलम की स्याही बनूँगी   
या इन्द्रधनुष-सी खिलूँगी,   
आज कोई मुझसे मुझपर अपना गीत लिखेगा   
या मुझसे मुझपर अपना रंग भरेगा,   
आज कोई मुझसे अपना दर्द बाँटेगा   
या मुझपर अपने सपनों का अक्स उकेरेगा,   
आज किसी के नज़्मों में बसूँगी   
या किसी के रूह में पनाह लूँगी,   
आज कोई पुराना नाता पिघलेगा   
या कोई नया ग़म निखरेगा,   
आज किसी पर पहला ज़ुल्म ढाऊँगी,   
या अपना आख़िरी जुर्म करुँगी,   
आज कोई नया इतिहास रचेगा   
या मैं उसके सपने को रँगूँगी,   
आज किसी के दामन में अपनी अंतिम साँस भरूँगी   
या ख़ुद को बहाकर उसके रक्त में जा पसरूँगी,   
आज ख़ुद को बिखराकर ग़ज़लों की किताब बनूँगी   
या आज ख़ुद को रँगकर उस ग्रन्थ को सँवार दूँगी,   
मैं आज ग़ज़लों की किताब बनूँगी!   
मैं आज ग़ज़लों की किताब बनूँगी!   

- जेन्नी शबनम (8. 9. 2008) 
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8 टिप्‍पणियां:

  1. "आज किसी पर पहला ज़ुल्म ढाउँगी,
    या अपना आखिरी जुर्म करुँगी |"

    क्या बात है!!!!!!!!!
    बहुत ख़ूबसूरत लिखा है.
    आगे भी ऐसी रचनाओं का इंतज़ार रहेगा

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  2. अरे वाह........उफ़...मैं तो मगर यही सोच-सोच कर पगला रहा हूँ.........कि जाने आप आज क्या करेंगी...मुझे तो डर भी लग रहा है........

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  3. बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

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  4. अच्छी रचना है..........
    सुन्दर अभिव्यक्ति है

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  5. आज किसी पर पहला ज़ुल्म ढाउँगी,
    या अपना आखिरी जुर्म करुँगी |

    आज कोई नया इतिहास रचेगा,

    Thik kaha aapne. Itihas bhi to jurmoN aur ZulmoN se bhara padaa hai.

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  6. ब्लोगिंग जगत मे आपका स्वागत है
    सुंदर रचना के लिए शुभकामनाएं
    भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
    लिखते रहि‌ए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
    कविता,गज़ल और शेर के लि‌ए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
    मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
    www.zindagilive08.blogspot.com
    आर्ट के लि‌ए देखें
    www.chitrasansar.blogspot.com

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