बुधवार, 8 अगस्त 2012

363. सिर्फ़ मेरा (क्षणिका)

सिर्फ़ मेरा

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ज़िन्दगी का अर्थ, किस मिट्टी में ढूँढें?
कौन कहे कि आ जाओ मेरे पास 
रिश्ते नाते अपने पराये, सभी बेपरवाह
किनसे कहें, एक बार याद करो मुझे, सिर्फ़ मेरे लिए 
बहुत चाहता है मन, कहीं कोई अपना, जो सिर्फ़ मेरा

- जेन्नी शबनम (8. 8. 2012)
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15 टिप्‍पणियां:

  1. कसक उठती है मन में...अकसर..शायद सभी के...किसी के पास नहीं कोई ऐसा जो सिर्फ उसका हो!!!!!

    अनु

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  2. kabhi aisa bhi hota hai ki koi apna paas hi hota hai ...........

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  3. किनसे कहें कि एक बार मुझे याद करो
    मुझे
    सिर्फ मेरे लिए
    बहुत चाहता है मन
    कहीं कोई अपना
    जो सिर्फ मेरा...
    Sach.....istarah man to bahut karta hai!

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  4. रिश्ते नाते
    अपने पराये
    सभी बेपरवाह
    किनसे कहें कि एक बार मुझे याद करो !

    खूबसूरत अभिव्यक्ति...

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  5. SUNDAR BHAVABHIVYAKTI KE LIYE BADHAAEE AUR SHUBH KAMNA .

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  6. किनसे कहें कि एक बार मुझे याद करो
    मुझे
    सिर्फ मेरे लिए
    बहुत चाहता है मन
    कहीं कोई अपना
    जो सिर्फ मेरा...

    हम ईन पलों के लिए बहुत कुछ कह सकते हैं किन्तु कभी कुछ भी नहीं कह पाते तब आपकी बातें एकदम सही लगती हैं

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  7. बहुत सराहनीय प्रस्तुति.


    http://madan-saxena.blogspot.in/
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  8. Apne chaahne se kuchh haasil ho jata to phir kya baat thee! Behad sundar rachana!

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  9. उस किसी एक की चाहत हर किसी के मन में होती है, जो सिर्फ और सिर्फ आपका हो...

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  10. गहरे अहसास
    कोमल से भाव व्यक्त करती
    सुन्दर रचना...
    :-)

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  11. बहुत अच्छी प्रस्तुति! मेरे नए पोस्ट "छाते का सफरनामा" पर आपका हार्दिक अभिनंदन है। धन्यवाद।

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  12. आपकी इस बेहतरीन कविता ने एक पुराने गीत की याद दिला दी ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
    याद किया दिल ने कहाँ हो तुम ,झूमती बहार है कहाँ हो तुम
    प्यार से पुकार जो जहाँ हो तुम ,,,,,,,,,,,,,,,,,

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  13. हर मन की यह चाहत होती है जिसे आपने व्यक्त किया है. यह प्रामाणिक अनुभूति है. बहुत खूब.

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