गुरुवार, 15 मार्च 2012

331. चुप सी गुफ़्तगू

चुप सी गुफ़्तगू

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एक चुप-सी दुपहरी में
एक चुप-सी गुफ़्तगू हुई
न तख्तों-ताज 
न मसर्रत
न सुख़नवर की बात हुई
कफ़स में क़ैद संगदिल हमसुखन
और महफ़िल सजाने की बात हुई
बंद दरीचे में
नफ़स-नफ़स मुंतज़िर
और फ़लक पाने की बात हुई
साथ-साथ चलते रहे
क़ुर्बतों के ख़्वाब देखते रहे
मगर फ़ासले बढ़ाने की बात हुई
एक चुप-सी दोपहरी में
एक चुप-सी गुफ़्तगू हुई। 
_________________
मसर्रत - आनंद
नफ़स - साँस
मुंतजिर - प्रतीक्षित
कुर्बतों - नज़दीकी
_________________

- जेन्नी शबनम (14. 3. 2012)
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21 टिप्‍पणियां:

  1. कुर्बतों के ख्व़ाब देखते रहे
    मगर फ़ासले बढ़ाने की बात हुई,
    एक चुप सी दोपहरी में
    एक चुप सी गुफ़्तगू हुई !
    बहुत बढ़िया भावपूर्ण सुंदर रचना,...

    RESENT POST...काव्यान्जलि ...: तब मधुशाला हम जाते है,...

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  2. शबनम करती गुप्तगू , दुपहर में चुपचाप ।
    बड़े विरोधाभास थे, सहे अकेले ताप ।।

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  3. बहुत खूबसूरत .........

    क्या एहसासे बयाँ है!!!

    लाजवाब.

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  4. कुर्बतों के ख्व़ाब देखते रहे
    मगर फ़ासले बढ़ाने की बात हुई,

    खूबसूरती से लिखे भाव

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  5. एक चुप सी दोपहरी में
    एक चुप सी गुफ़्तगू हुई !wah....gazab ka likhti hain.....

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  6. उर्दू साहित्य की वैज्ञानिकता को धत्ता बताते हुए शबनम जी जो कुछ भी लिखती है वो न सिर्फ पोएट्री को मजबूत करता है बल्कि गजलों ,शेरों के नाम पर भाषा किये जा रहे खिलवाड़ के विरुद्ध भी खड़ा हो जाता है |समकालीन कवियों में एक्का-दुक्का अपवाद को छोड़ दिया जाए तो उर्दू भाषा में नयी कविता प्रस्तुत करने का साहस औरवो भी खूबसूरत बिम्बों के साथ बेहद कठिन रहा है |डॉजेन्नी शबनम उन सारे मिथकों को तोडती दिखाई देती है |

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  7. शानदार ....
    बहुत सुंदर लिखा है ...

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  8. उस चुप गुफ्तगू को अक्षरों की आवाज में बहुत सुन्दर तराशा आपने..उम्दा

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  9. बहुत खुबसूरत लफ्जों का चयन !
    आभार !

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  10. एक चुप सी दोपहरी में
    एक चुप सी गुफ़्तगू हुई...बहुत खूब ....
    बहुत सुंदर रचना,...

    RESENT POST...काव्यान्जलि ...: तब मधुशाला हम जाते है,...

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  11. Behad acchi lagi ye chup is guftabu....


    kuch sune kuch kaha kiye.. justju jab kiya kiye.... chup se wo reh liye... jab bhi humse mila kiye....

    Thanks a lot for sharing...

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  12. ek chup si dopahari me chup si guftgoo:))...
    chuppi chuupi me bahut baaten ho jati hai:)

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  13. साथ-साथ चलते रहे
    कुर्बतों के ख्व़ाब देखते रहे
    मगर फ़ासले बढ़ाने की बात हुई,
    एक चुप सी दोपहरी में
    एक चुप सी गुफ़्तगू हुई !
    Gazab!

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  14. चुप सी गुफ़्तगू...
    ne dil ko gamon se
    aankhon ko aansooon se
    bhar diyaa

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  15. आप आयें --
    मेहनत सफल |

    शुक्रवारीय चर्चा मंच
    charchamanch.blogspot.com

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  16. vaah laajabaab khoobsurat najm arth likh dene se samajhne me aasani hui shukria.

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  17. एक चुप सी दोपहरी में
    एक चुप सी गुफ़्तगू हुई !


    लाजवाब......

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  18. उर्दू शब्दों के अर्थ देकर अच्छा किया.. वरना अपुन को तो समझना मुश्किल हो जाता.. बढ़िया रचना...

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  19. chup si guftgu kya soch hai dopahr to aksar hi chup rahti hai
    bahut khoob
    rachana

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  20. चुप सी दुपहरी में चुप सी गुफ्तगू ....
    खामोशियाँ यूँ बाते भी करती हैं ...

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  21. यहाँ तो चुपके-चुपके ही बहुत सारी बातें हो गयीं..
    सादर

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