शुक्रवार, 5 अप्रैल 2013

398. मन में है फूल खिला (माहिया लिखने का प्रथम प्रयास) (5 माहिया)

मन में है फूल खिला (5 माहिया) 
(माहिया लिखने का प्रथम प्रयास)

*******

1.
जाने क्या लाचारी   
कोई ना समझे    
मन फिर भी है भारी !  

2.
सन्देशा आज मिला  
उनके आने का 
मन में है फूल खिला !

3.
दुनिया भरमाती है  
है अजब पहेली   
समझ नहीं आती है !

4.
मैंने दीप जलाया   
जब भी तू आया 
मन ने झूमर गाया  ! 

5.
चुपचाप हवा आती 
थपकी यूँ देती  
ज्यों लोरी है गाती !

- जेन्नी शबनम (3. 4. 2013)

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29 टिप्‍पणियां:

  1. सभी बहुत सुंदर .... माहिया की परिभाषा भी दीजिये , जिससे हम भी प्रयास कर सकें

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  2. बहुत लय बद्ध प्रस्तुति है.( माहिया को अगर परिभाषित करती तो अच्छा होता )
    LATEST POST सुहाने सपने

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  3. माहिया शायद हायकू को कहते हैं ?
    एक से बढ़कर एक है सब !

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  4. बहुत बढ़िया ...
    इस विधा के विषय में तो कुछ पता नहीं था जेन्नी जी...
    क्या नियम हैं इसके???

    सादर
    अनु

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  5. आदरणीय डॉ साहब ये उहापोह की स्थिति होती है जब मन डोलता है हाँ ना में। संवेदना लिए .

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  6. आज की ब्लॉग बुलेटिन क्यों 'ठीक है' न !? - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  7. बहुत सुंदर माहिया..!
    पहला माहिया लिखने पर हार्दिक बधाई!:-)
    ~सादर!!!

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  8. सन्देशा आज मिला उनके आने का मन में है फूल खिला ! बहुत बढ़िया उम्दा पंक्तियाँ,,,

    Recent post : होली की हुडदंग कमेंट्स के संग

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  9. बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति,आभार.

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  10. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार (6-4-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
    सूचनार्थ!

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  11. बहुत खूब ... इस विधा के बारे में पोर्र पता नहीं ... पर मन को बहुत भाये आपके छंद ... ख्याल को पूरी तरह समर्पित ...

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  12. चुपचाप हवा आती

    थपकी यूँ देती

    ज्यों लोरी है गाती !

    सारी माहियां खूबसूरत । ये हाइकू से कैसे अलग है ?

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  13. बहुत सुन्दर क्षणिकाएं.

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  14. ये वाली बेस्ट लगी :

    मैंने दीप जलाया
    जब भी तू आया
    मन ने झूमर गाया!

    सुन्दर!

    सादर
    मधुरेश

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  15. बहुत सुन्दर और भावपूर्ण....

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  16. नव संवत् का रवि नवल, दे स्नेहिल संस्पर्श !
    पल प्रतिपल हो हर्षमय, पथ पथ पर उत्कर्ष !!



    चुपचाप हवा आती
    थपकी यूं देती
    ज्यों लोरी है गाती !

    वाह वाह ! बहुत ख़ूब !
    आदरणीया डॉ.जेन्नी शबनम जी
    माहिया मेरी मनपसंद विधा है... ये और बात है अभी तक ब्लॉग पर माहिया की पोस्ट नहीं डाली ।
    # राजस्थानी में माहिया लिखनेवाला मैं पहला छंदसाधक कवि हूं शायद !

    आपने अच्छा प्रयास किया है , साधुवाद !


    आपको सपरिवार नव संवत्सर २०७० की बहुत बहुत बधाई !
    हार्दिक शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं...

    -राजेन्द्र स्वर्णकार


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  17. बहुत बढ़िया छंद देखने को मिले ....
    .

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  18. चिंतनपरक सार्थक
    सुंदर रचना
    उत्कृष्ट प्रस्तुति
    बधाई और शुभकामनायें

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  19. बहुत सुन्दर हायकू या माहिया या क्षणिकाएं |

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