अनुभूतियाँ
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कुछ अनुभूतियाँ, आकाश के माथे का चुम्बन है
कुछ अनुभूतियाँ, सूरज की ऊर्जा का आलिंगन है
हर चाहना हर कामना, अद्भूत अनोखा अँसुवन है
न क्षीण न स्थाई, मगर ये भाव सहज सुहाना बंधन है।
- जेन्नी शबनम (8. 10. 2018)
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4 टिप्पणियां:
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (09-10-2018) को "ब्लॉग क्या है? " (चर्चा अंक-3119) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुन्दर
ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 08/10/2018 की बुलेटिन, अकेलापन दूर करने का उपाय “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
सत्य ही कहा है ...
अनुभूतियाँ अपनी अपनी हैं .... सुन्दर रचना ...
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