साथी
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साथी
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मेरे साथी! तुम तब थे कहाँ
ज़ख़्मों से जब हम थे घायल हुए
इक तीर था निशाने पे लगा
तन-मन मेरा जब ज़ख़्मी हुआ।
2.
एहसान
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उम्र भर चले जलती धूप में पाँव के छाले अब क़दम है रोके
कभी जो छाँव कोई, दमभर मिली
तुम कहते कि एहसान तेरा हुआ।
3.
तू कहाँ था
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ख़्वाहिशों की लम्बी क़तारें थीं
फफोले-से सपने फूटते रहे
जब दर्द पर मेरे हँसती थी दुनिया
तू कहाँ था, मेरे साथी बता।
4.
पराया
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जब भटकते रहे थे हम दरबदर
मंदिर-मस्जिद सब हमसे बेख़बर
घाव पर नमक छिड़कती थी दुनिया
मेरा दर्द भला क्यों पराया हुआ।
5.
मेरे हिस्से
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फूल और खार दोनों बिछे थे
सारे खार क्यों मेरे हिस्से
दुखती रगों को छेड़कर तुमने
हँसके थे सुनाए मेरे क़िस्से।
6.
कुछ न जीता
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लो अब ये कहानी ख़त्म हो गई
ज़िन्दगी अब नाफ़रमानी हो गई
गर वापस तुम आओ तो देखना
हम तो हारे, तुमने भी कुछ न जीता।
7.
सौदा
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सीले-सीले से जीवन में नहीं रौशनी
चाँद और सूरज भी तो तेरा ही था
शब के रातों की नमी मेरी तक़दीर
उजालों का सौदा तुमने ही किया।
8.
लाज
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नफ़रतों की दीवार गहरी हुई
ढह न सकी, उम्र भले ठिठकी रही
हो सके तो एक सुराख़ करना
ज़माने की ख़ातिर लाज रखना।
9.
हम थे कहाँ
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जब-जब जीवन से हारती रही
आँखें तुमको ही ढूँढती रही
अपनी दुनिया में उलझे रहे तुम
बता तेरी दुनिया में हम थे कहाँ।
10.
आँसू
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शब के आँसू आसमाँ के आँसू
दिन के आँसू ये किसने भरे
धुँधली नज़रें किसकी मेहरबानी
कभी तो पूछते तुम अपनी ज़बानी।
11.
उदासी
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दरम्याने-ज़िन्दगी ये कैसा वक़्त आया है
ज़िन्दगी की तड़प भी और मौत की चाहत है
लफ्ज़-लफ्ज़ बिखरे हुए, अधरों पर ख़ामोशी है
ज्यों छिन रही हो ज़िन्दगी, मन में यूँ उदासी है।
12.
अलविदा
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अब जो लौटो तुम तो हम क्या करें
ज़ख़्म सारे रिस-रिस के अब नासूर बने
तेरे क़र्ज़ के तले है जीवन बीता
ऐ साथी मिलेंगे कभी अलविदा-अलविदा।
- जेन्नी शबनम (10. 10. 2020)
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10 टिप्पणियां:
सुंदर भावाभिवयक्ति.......
सुन्दर सृजन
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 12 अक्टूबर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार 12 अक्टूबर 2020) को 'नफ़रतों की दीवार गहरी हुई' (चर्चा अंक 3852 ) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
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#रवीन्द्र_सिंह_यादव
वाह...।
दर्जनभर कतात में आपने जीवन का सच उजागर कर दिया।
आ डॉ जेन्नी शबनम जी, नमस्ते👏! बहुत सुंदर भावभिव्यक्तियाँ!
गर वापस तुम आओ तो देखना
हम तो हारे, तुमने भी कुछ न जीता। बहुत अच्छी पंक्तियाँ! साधुवाद!--ब्रजेन्द्रनाथ
बहुत सुंदर
ब जो लौटो तुम तो हम क्या करें
ज़ख्म सारे रिस-रिस के अब नासूर बने
तेरे क़र्ज़ के तले है जीवन बीता
ऐ साथी मिलेंगे कभी अलविदा-अलविदा!,,,,, बहुत सुंदर रचना ।
उम्दा प्रस्तुति ।
सुन्दर
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