रात
*******
1.
चाँद न आया
रात की बेक़रारी
बहुत भारी।
2.
रात शर्माई
चाँद का आलिंगन
पूरनमासी।
3.
रोज़ जागती
तन्हा रात अकेली
दुनिया सोती।
4.
चन्दा के संग
रोज़ रात जागती
सब हैं सोए।
5.
जाने किधर
भटक रही नींद
रात गहरी।
6.
चाँद जो सोया
करवट लेकर
रात है रूठी।
7.
चाँद को जब
रात निगल गई
चाँदनी रोई।
8.
हिस्से की नींद
सदियों बाद मिली
रात है सोई।
9.
रात जागती
सोई दुनिया सारी
मन है भारी।
10.
अँधेरी रात,
है चाँद-सितारो की
बैठक आज।
11.
काला-सा टीका
रात के माथे पर
कृष्ण पक्ष में।
- जेन्नी शबनम (2. 4. 2013)
___________________
7 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर.
एक से बढ़कर एक - लाजवाब
चाँद को जब
रात निगल गई
चाँदनी रोई
वाह....
रात का सुन्दर चित्रण ...वो भी मात्राओं और शब्दों के नियमों के भीतर..
लाजवाब.
सादर
अनु
बेहतरीन हाइकु ....
काला-सा टीका
रात के माथे पर
कृष्ण पक्ष में !
वाह ... बहुत खूब
बहुत सुन्दर रचना!
बहुत बढिया..
एक टिप्पणी भेजें