मन-आँखों का नाता
(5 सेदोका)
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1.
गहरा नाता
मन-आँखों ने जोड़ा
जाने दूजे की भाषा,
मन जो सोचे -
अँखियों में झलके
कहे संपूर्ण गाथा !
2.
मन ने देखे
झिलमिल सपने
सारे के सारे अच्छे,
अँखियाँ बोलें -
सपने तो सपने
नहीं होते अपने !
3.
बावरा मन
कहा नहीं मानता
मनमर्ज़ी करता,
उड़ता जाता
आकाश में पहुँचे
अँखियों को चिढ़ाए !
4.
आँखें ही होती
यथार्थ हमजोली
देखे अच्छी व बुरी
मन बावरा
आँखों को मूर्ख माने
धोखा तभी तो खाए !
5.
मन हवा-सा
बहता ही रहता
गिरता व पड़ता,
अँखियाँ रोके
गुपचुप भागता
चाहे आसमाँ छूना !
- जेन्नी शबनम (18. 6. 2016)
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5 टिप्पणियां:
शानदार :)
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 20 जून 2016 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (20-06-2016) को "मौसम नैनीताल का" (चर्चा अंक-2379) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
मन ने देखे
झिलमिल सपने
सारे के सारे अच्छे,
अँखियाँ बोलें -
सपने तो सपने
नहीं होते अपने !
उम्दा सार्थक सेदोके :) बधाई
बहुत सुन्दर
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