बुधवार, 20 मई 2020

664. कहासुनी जारी है

कहासुनी जारी है

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पल-पल समय के साथ कहासुनी जारी है   
वो कहता रहता है, मैं सुनती रहती हूँ,   
अरेब-फ़रेब, जो उसका मन बोलता रहता है   
कान में पिघलता सीसा, उड़ेलता रहता है   
मैं हुँकारी भरती रहती हूँ, मुस्कुराती रहती हूँ   
अपना अपनापा दिखाती रहती हूँ। 
  
नहीं याद क्या-क्या सुनती रहती हूँ   
नहीं याद क्या-क्या बिसराती जाती हूँ   
जितना मेरा मन किया, उतना ही सुनती हूँ   
बहुत कुछ अनसुना करती हूँ।
   
न उसे पता कि मैंने क्या-क्या न सुना   
न मुझे पता कि उसने 
मुझे कितना-कितना धिक्कारा   
कितना-कितना दुत्कारा। 
  
फिर भी सब कहते हैं   
हमारे बीच बड़ा प्यारा सम्बन्ध है   
न हम लड़ते-झगड़ते दिखते हैं   
न कभी कहासुनी होती है   
बहुत प्यार से हम जीते हैं। 
  
यह हर कोई जानता है   
कहासुनी में दोनों को बोलना पड़ता है   
अपना-अपना कहना होता है   
दूसरों का सुनना होता है।
   
पर समय और मेरे बीच अजब-सा नाता है   
वह कहता जाता है, मै सुनती जाती हूँ   
कहासुनी जारी रहती है   
कहासुनी जारी है।

 -जेन्नी शबनम (20.5.2020) 
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16 टिप्‍पणियां:

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर ने कहा…

कहा सुनी की असल व्याख्या तो यही है अन्यथा दोनों बोलें तो कहा-कही होती है।
सुन्दर

अजय कुमार झा ने कहा…

वाहवाह ये सफर यूं ही जारी रहे जी बहुत शुभकामनाएं आपको। बढ़िया है

Ravindra Singh Yadav ने कहा…

नमस्ते,

आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरुवार 21 मई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत खूब रही कहासुनी।

Bharat Thakur ने कहा…

Bahut khoob the best way to live love life
https://yourszindgi.blogspot.com/2020/04/blog-post_29.html?m=0

दिगम्बर नासवा ने कहा…

U एक ऐसा एक तरफ़ा नाता हाई जिसमें समय जो कहता हाई वो सुनना पढ़ता है ... चाहे वाद होता रहे वो खुद से खुद का ही होता है ...

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर

Meena Bhardwaj ने कहा…

सादर नमस्कार,

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (22-05-2020) को
"धीरे-धीरे हो रहा, जन-जीवन सामान्य।" (चर्चा अंक-3709)
पर भी होगी। आप भी
सादर आमंत्रित है ।
…...
"मीना भारद्वाज"

Sudha Devrani ने कहा…

कहा सुनी तो है कहा कही तब होती जब सचमुच प्यार हो अधिकार हो ....लोगो को लगता है प्यार है क्योंकि कहा कही नहीं .....चलो काफी है रिश्ता निभ रहा है....पर सब्र की भी सीमा होती है....
बहुत ही सुन्दर सृजन।

vandana gupta ने कहा…

सच कहना सुनना जारी रहता है बस इकतरफा न हो

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

समय से किसने पार पाया,लेकिन अपने हिसाब से चलना बहुत कुछ अपने बसमें है .हिसाब ठीक बैठा रहेगा तब तक सब शान्त रहेगा ,और कोई उपाय है भी नहीं.

Akhilesh shukla ने कहा…

कहा-सुनी से कहाँ सुनी तक का सफर

Marmagya - know the inner self ने कहा…

आदरणीया जेन्नी शबनम जी, समय के साथ के संवाद की सुन्दर अभिव्यक्ति हुई है। समय सिर्फ कहता है, सुनाता है। उसे तो कोई कह नहीं पाता। यही जीवन यात्रा है। --ब्रजेन्द्र नाथ

Jyoti Singh ने कहा…

बेहतरीन रचना ,सुंदर टिप्पणिया,

Jyoti Singh ने कहा…

बेहतरीन रचना सुंदर अभिव्यक्ति समय कब किसी की सुना है,वो केवल सुनाता है

अनीता सैनी ने कहा…

कुछ सुनती कुछ सुनाती सुंदर अभिव्यक्ति आदरणीया दीदी.
सादर