पापा
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ख़ुशियों में रफ़्तार है इक   
सारे ग़म चलते रहे   
तुम्हारे जाने के बाद भी   
यह दुनिया चलती रही और हम चलते रहे   
जीवन का बहुत लम्बा सफ़र तय कर चुके    
एक उम्र में कई सदियों का सफ़र कर चुके। 
अब मम्मी भी न रही   
तमाम पीड़ाओं से मुक्त हो गई   
तुमसे ज़रूर मिली होगी   
बिलख-बिलखकर रोई होगी   
मम्मी ने मेरा हाल बताया होगा   
ज़माने का व्यवहार सुनाया होगा   
जाने के बाद तुम तो हमको भूल गए   
जाने क्यों मेरे सपने से भी रूठ गए   
बस एक बार आए फिर कभी न आए   
न बुलाने के लिए कहकर चले गए। 
पर जानते हो पापा   
एक सप्ताह पहले   
तुम, मम्मी, दादी मेरे सपने में आए   
पापा! तुम मेरे सपने में फिर से मरे   
मम्मी ने तुम्हारा दाह-संस्कार किया   
पर तब भी जाने क्यों तुम हमको न दिखे   
आग ने भी तुम्हारे नाम न लिखे   
जैसे सच में मरने के बाद 
हम तुमको न देख सके थे   
तुमसे लिपटकर रो न सके थे। 
जाने कैसा रहस्य है   
मम्मी-दादी सपने में सदा साथ रहती है   
पर मेरी परेशानियों के लिए कोई राह नहीं बताती है। 
किससे कुछ भी कहें पापा   
तुम ही कुछ तो बताओ पापा   
जानती हूँ हमसे भी अधिक 
भाग्यहीनों से संसार भरा है   
दुनिया का दर्द शायद मेरे दर्द से भी बड़ा है   
हमसे भी अधिक बहुतों की पीड़ा है   
फिर भी मन की छटपटाहट कम नहीं होती   
ज़ख़्मों को तौलने की इच्छा नहीं होती   
जीने की वज़ह नहीं मिलती। 
मन रोता है, तड़पता है   
दुःख में तुमको ही खोजता है   
बस एक बार सपने में आकर   
कुछ तो कह जाओ   
न कहो, एक बार बस दिख जाओ   
जानती हूँ   
समय-चक्र का यही हिसाब-किताब है   
हमको आज भी तुमसे उतना ही प्यार है   
पापा! तुम्हारी बेटी को 
तुम्हारे एक सपने का इन्तिज़ार है। 
-जेन्नी शबनम (18.7.2021)
(पापा की 43वीं पुण्यतिथि पर)
(पापा की 43वीं पुण्यतिथि पर)
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11 टिप्पणियां:
पापा हमेशा साथ चलते हैं लम्हों के सफ़र में। सुन्दर।
`यादों में चलते हैं साथ साथ .....नमन
नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (19-07-2021 ) को 'हैप्पी एंडिंग' (चर्चा अंक- 4130) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
वक़्त चला जाता एक वक़्त के बाद पर
दिल की सुर्ख दिवारों पर यादें रह जाती हैं
हृदय स्पर्शी !
सुन्दर
हृदयस्पर्शी रचना
सुंदर सृजन...
दिल को छूती हुई उत्कृष्ट रचना।
दुनिया का दर्द शायद मेरे दर्द से भी बड़ा है
हमसे भी अधिक बहुतों की पीड़ा है
बहुत मार्मिक.
बहुत ही सुंदर हृदयस्पर्शी सृजन।
सादर
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