बापू (चोका)
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जन्म तुम्हारा
सौभाग्य है हमारा
तुमने दिया
जग को नया ज्ञान
हारे-पिछड़े
वक्त ने जो थे मारे
दुख उनका
सह न पाए तुम
तुमने किया
अहिंसात्मक जंग
तुमने कहा -
सत्य और अहिंसा
सच्चे विचार
स्वयं पर विजय
यही था बस
तुम्हारा हथियार
तुम महान
लाए नया विहान
दूर भगाया
विदेशी सरमाया
मगर देखो
तुम्हारा उपकार
भूला संसार
छल से किया वार
दिया आघात
जो अपने तुम्हारे
सीना छलनी
हुई लहूलुहान
तुम्हारी भूमि
प्रण पखेरू उड़े
तुम निष्प्राण
जग में कोहराम
ओह! हे राम!
यह क्या हुआ राम!
हिंसा से हारा
अहिंसा का पुजारी
तुम तो चले गए
अच्छा ही हुआ
न देखा यह सब
देख न पाते
तुम्हारी कर्मभूमि
खंडों में टूटी
तुम्हारा बलिदान
हुआ है व्यर्थ
तुम्हारे अपने ही
छलते रहे
खंजर भोंक रहे
अपनों को ही
तुम्हारी शिक्षा भूल
तुम्हारा दर्शन
तुम्हारे विचार त्याग
घिनौने कार्य
तुम्हारे नाम पर
ओह! दुःखद!
हम नहीं भूलेंगे
अपनाएँगे
तुमसे सीखा पाठ
नमन बापू
पूजनीय हो तुम
अमर रहो तुम!
- जेन्नी शबनम (2. 10. 2018)
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5 टिप्पणियां:
बापू के सन्देश को बाखूबी लिखा है ...
नमन है बापू को ...
बापू के दर्शन को वर्तमान दौर में जाँचती-परखरती एक विचारणीय रचना.
अत्याचार का अहिंसक ढंग से सफल मुक़ाबला करना गांधीवाद का मूल उद्देश्य है.
गाँधी जयंती पर बापू को सादर नमन.
नमस्ते,
आपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
गुरुवार 4 अक्टूबर 2018 को प्रकाशनार्थ 1175 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।
प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
सधन्यवाद।
बहुत बढ़िया रचना।
तुम्हारा उपकार भूला संसार ठीक नहीं है। संसार में बापू वहीं हैं जहाँ थे। हम क्या कर रहे हैं ये महत्वपूर्ण है। चार साल कहाँ थे 2019 आते ही बापू जिंदा हो गये?
अच्छा लिखा है आपने।
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