सूरज किसका चाँद किसका
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हम चाँद हैं तुम्हारे
तुम सूरज हो हमारे
हम भी तनहा, तुम भी तनहा
संसार में हम दोनों तनहा
पर साथ-साथ हम चलते हैं
अपना कर्त्तव्य निभाते हैं।
हम भी तनहा, तुम भी तनहा
संसार में हम दोनों तनहा
पर साथ-साथ हम चलते हैं
अपना कर्त्तव्य निभाते हैं।
सारे दिन जलकर
जब तुम सोने जाते हो
तुमसे लेकर उजाला
हम देते हैं जग को उजाला
बस एक रात होती है
हमारे मिलन की रात
वह है अमावस की रात
हाँ! यह भी बहुत है
हमारे अनन्त जीवन में
हर माह होती है हमारी रात।
कभी-कभी मन सोचता है
मिली ऐसी ज़िन्दगी क्यों
पिया हमने अमृत क्यों
युगों-युगों से चलते हुए
हर रोज़ जलते हुए
क्या पाएँगे हम
कब तक यूँ जलेंगे हम
उफ़ ये क्या कर लिया हमने
अमरत्व का वरदान
अब लगता है अभिशाप।
हम दोनों अपने पथ पर
बिना थके चलते दम भर
करते रहे कर्त्तव्य का पालन
नहीं किया कोई उल्लंघन
पर जग की रीत देखकर
मन चाहता छोड़ दें सब बन्धन।
कोई कहता सूरज है उसका
कोई कहता चाँद है उसका
नहीं पूछता कोई हमसे
क्या इच्छा है हमारे मन में
युगों-युगों से हम साथ रहे
युगों-युगों तक यों ही रहेंगे
मन दुखता है सुनकर
जग हँसता जब हमें बाँटकर।
अब चाहते आ जाए प्रलय
जग में नहीं रहा कोई लय
या मिल जाए विष कहीं
या उगल दें अमृत सभी
कर विषपान हम करें विश्राम
या अमरत्व का मिटे विधान।
सूरज बिना मिट जाएगी दुनिया
अँधेरे में कब तक टिकेगी दुनिया
फिर बाँटते रहना जगवालों
सूरज था किसका
चाँद था किसका।
-जेन्नी शबनम (24.12.2024)
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5 टिप्पणियां:
वाह
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 25 दिसंबर को साझा की गयी है....... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
वाह.....अद्भुत प्रेरणा दायक रचना
सूरज और चाँद के बिना न रहेगी यह हमारी प्रिय धरती एक पल भी, इसलिए दोनों हैं उसके, सुंदर रचना !
बहुत खूबसूरत रचना
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