नेह-निमंत्रण तुम बिसरा गए
*******
नेह-निमंत्रण तुम बिसरा गए
फिर आस खोई तो क्या हुआ?
सपनों के बिना भी हम जी लेंगे
मेरा दिल टूटा तो क्या हुआ?
मुसकान तुम्हारी, मेरा चहकना
फिर हँसी रोई तो क्या हुआ?
यक़ीन हम पर न तुम कर पाए
मेरा दम्भ हारा तो क्या हुआ?
ख़्वाबों में भी जो तुम आ जाओ
तन्हा रात मिली तो क्या हुआ?
मन का पिंजरा, अब भी है खुला
मेरा तन हारा तो क्या हुआ?
तुम तक पहुँचती, सब राहों पर
अंगारे बिछे भी तो क्या हुआ?
इरादा किया, तुम तक है पहुँचना
पाँव ज़ख़्मी मेरा तो क्या हुआ?
मुक़द्दर का ये खेल देखो
फिर मात मिली तो क्या हुआ?
अजनबी तुम बन गए, अब तो
फिर आघात मिला तो क्या हुआ?
मुश्किल है, फिर भी है जीना
ज़िन्दगी सौग़ात मिली तो क्या हुआ?
उम्मीद की उदासी, रुख़सत होगी
अभी वक़्त है ठहरा तो क्या हुआ ?
- जेन्नी शबनम (24. 5. 2009)
_____________________
*******
नेह-निमंत्रण तुम बिसरा गए
फिर आस खोई तो क्या हुआ?
सपनों के बिना भी हम जी लेंगे
मेरा दिल टूटा तो क्या हुआ?
मुसकान तुम्हारी, मेरा चहकना
फिर हँसी रोई तो क्या हुआ?
यक़ीन हम पर न तुम कर पाए
मेरा दम्भ हारा तो क्या हुआ?
ख़्वाबों में भी जो तुम आ जाओ
तन्हा रात मिली तो क्या हुआ?
मन का पिंजरा, अब भी है खुला
मेरा तन हारा तो क्या हुआ?
तुम तक पहुँचती, सब राहों पर
अंगारे बिछे भी तो क्या हुआ?
इरादा किया, तुम तक है पहुँचना
पाँव ज़ख़्मी मेरा तो क्या हुआ?
मुक़द्दर का ये खेल देखो
फिर मात मिली तो क्या हुआ?
अजनबी तुम बन गए, अब तो
फिर आघात मिला तो क्या हुआ?
मुश्किल है, फिर भी है जीना
ज़िन्दगी सौग़ात मिली तो क्या हुआ?
उम्मीद की उदासी, रुख़सत होगी
अभी वक़्त है ठहरा तो क्या हुआ ?
- जेन्नी शबनम (24. 5. 2009)
_____________________